दुनिया में रूहों, आत्मओं के बारें में बहुत सी भ्रांतिया विकसित है, कई लोगों ने इनका आभास किया है तो कई लोग इन्हे देखने का भी दावा करते हैं। इन रूहों का अस्तीत्व में कीतनी सच्चाई होती हैं इसके बारें में लोग अलग-अलग राय देतें है। लेकिन क्या हो तब जब आप किसी ऐसी जगह पर जाएं जिसके बारें में आपने बहुत कुछ सुन रखा हो और उस जगह पर आपकी किसी ऐसी ही अदृश्य शक्ति से हो जाये।
रूहो,आत्माओं या फिर किसी भी अदृश्स शक्ति, जैसा कि आपकों पूर्व के लेखों में बताया गया है कि इनका शारिरीक रूप से कोई अस्तीत्व नहीं होता हैं। लेकिन ये बेमिशाल शक्ति की मालिक होती है। जरा सोचिए जब कोई बगैर शरीर के इतना शक्तिशाली हो कि वो आपकों अपने होने का आभास करा देंता हो वो वास्तव में कितना भयानक होगा।
रूहों के बारें में लोगों के दिमाग में कुछ सवाल हमेशा कौंधतें है कि वो हमेशा एकांत में ही क्यों रहती हैं? या फिर वो सामने क्यूं नहीं ? वगैरा वगैरा। हम आपकों बतां दें कि उन्हे हमारे सामने आने में कोई समस्या नहीं होती है। दोष हमारे आंखों में होता है वो दुनिया के हर कोनें में हर समय मौजूद रहती हैं। बस हम उन्हें देख नहीं पातें। उनकी उपस्थिती का अंदाजा आप इसी से लगा सकतें है कि वो शायद इस समय यह लेख पढ़तें समय भी आपकें आस पास मौजूद हो सकती हैं। एक बात इनके बारें में कहीं जाती है कि जब इनके बारें में सोचा जाता है, या फिर इन्हे याद किया जाता है तो ये और शक्तिशाली हो जाती है और आपके सामने आ सकती हैं।
एक सवाल और जो कि अमुमन लोगों के दिमाग में आता है कि इन आत्माओं का जन्म कहां से होता हैं। तो मै आपको बता दू कि रूहों का जन्म जीवों की मौत के बाद होता हैं। रूहें या आत्माएं केवल इंसानों की ही नहीं होती हैं ये जानवरों की भी होती हैं। जहां तक रहा सवाल इनके आकार या फिर संरचना का तो वो सदैव विचित्र ही होता है जैसा कि हम इंसान पहले कभी नहीं देखें होतें हैं। आज हम आपकों अपने इस सीरीज के इस लेख में सिंगापूर के एक ऐसे अस्पताल के बारें में बताऐंगे जो कि जापानी सैनिकों के इलाज के लिए बनाया गया लेकिन वो उनकी कब्रगाह बन गया। आइऐं चलतें है मौत की उस भयानक सफर पर जहां हम आपकों बताऐंगे पुराने चंगी अस्पताल के बारें में।
चंगी अस्पताल का इतिहास
चंगी अस्पताल का निर्माण सन 1930 में कराया गया था। यह अस्पताल नार्थवन रोड के किनारे चंगी गांव के पास बनाया गया था इसीलिए इसका नाम चंगी अस्पताल पड़ गया। उस समय इस यह एक मिलीट्री अस्पताल हुआ करता था। द्वितीय विश्व युद्व के दौरान सिगापुर के चंगी गांव के आस-पास जापानियों का कब्जा हो गया था। उस समय हजारों की संख्या में जापानी सैनिक इस अस्पताल में लायें गये थे।
इस अस्पताल में उन सैनिकों का इलाज किया जाता था। इलाज के दौरान इस अस्पताल में सैनिकों को उपचार देने के लिए पर्याप्त साधन मौजूद नहीं थी। इसके अलांवा रोजाना सैकड़ों की संख्या में घायल जवानों के आनें का सिलसिला जारी था। उस समय इस अस्पताल में नर्स, चिकित्सक और कुछ सुरक्षाकर्मी भी थे। सैनिक इतने ज्यादा घायल होतें थें कि उनको बचाना कठिन होता था और देखते देखते हजारों की संख्या में जवानों की मौत होनें लगी।
अस्पताल में हो रही इन मौतों के कारण अस्पताल में एक भयानक बिमारी ने जन्म ले लिया और यह बिमारी अस्पताल के स्टाफ में भी फैल गयी। इस अस्पताल में काम करने वालें दो नर्सो की भी बिमारी के चलते मौत हो गयी। इसके अलांवा एक चिकित्सक की भी मौत हो गयी। यह अस्पताल एक बहुत ही विशाल भवन था, इसमें कई ब्लाक थे। साथ ही इसमें बहुत ढेर सारे वार्ड भी थे।
अस्पताल में रूहों का बसेरा
लगातार हो रही मौतों के कारण यह अस्पताल उस समय एक मनहूस जगह बन चुकी थी। उस समय जो जवान घायल अवस्था में लायें गये थे उसमें से बहुत कम ही जिंदा वापस जा सके थे। ज्यादातार जवानों की वहीं पर मौत हो गयी थी। जिसके कारण उस अस्पताल में मर चुके जवानों की रूहे भटकने लगी और देखते देखते कुछ दिनों में वहीं उनका बसेरा हो गया।
उस समय से लेकर आज तक उन जवानों की रूहों को उस अस्पताल में साफ महसुस किया जाता हैं। जवानों के लाशों को उस समय अस्पताल के पिछे एक ब्लाक में जिसे मर्च्यूरी कहा जाता था, वहां रखा जाने लगा। रोजाना सैकड़ों लाशें लायी जाने लगी और मौत का तांडव शुरू हो चुका था। अस्पताल के दूसरे माले पर कई बार रात में लोगों ने एक वृद्व व्यक्ति का साया देखा इसके बारें में अस्पताल प्रबंधन को भी बताया गया लेकिन इस मामलें पर किसी ने भी ध्यान नही दिया।
एक बार एक व्यक्ति दूसरे माले से अचानक गिर गया और वो बुरी तरह जख्मी हो गया जब अस्पताल में उसका इलाज किया जा रहा था। उस वक्त उसने बताया कि उसे ऐसा महसूस हुआ कि किसी ने उसे बलपूर्वक धक्का दे दिया हो और कुछ दिनों बाद उस व्यक्ति की मौत हो गयी। उसके उसके बाद से दूसरे माले पर लोग अकेले जानें में डरने लगे। कई लोगों ने दावा किया कि उस माले पर किसी के ठहाके लगा कर हंसने की भी आवांजे आती हैं।
अस्पताल में एक नर्स का साया
अस्पताल में एक नर्स का साया भी बहुचर्चित हैं। एक बार एक जवान का इलाज करते समय एक नर्स से कुछ गलती हो गयी। उस समय जवान गुस्से में उसे बुरी तरह मारने पीटने लगा। उस समय वो नर्स पेट से गर्भवती थी और उस जवान ने पैर से उसके पेट पर भी वार कर दिया। पेट पर वार करते ही वो नर्स जमीन पर तड़पने लगी और मौके पर ही उसकी मौत हो गयी।
तब से लेकर आज तक कई बार उर्स नर्स के साये को वहां देखा गया हैं। उस नर्स का साया आज भी कभी जमीन पर रेंगती है और खुद को बचाने का गुहार लगाती हैं। कभी कभी वो अपने हाथ में एक खंजर लिए घुमती हैं। एक व्यक्ति ने दावा किया कि वो जब अस्पताल के तीसरे माले पर गया था तो उसने वैसी ही एक महिला का साया देखा था और जब उसने उसके करीब जाने की कोशिश की तो वहां पर महिला, और बच्चे की रोने की आवाज आने लगी जिसके कारण वो वहां से भाग खड़ा हुआ।
अस्पताल में जिंदा चौकीदार
चौकिदार का भूत, इस अस्पताल में कहीं भी मिल जाता हैं। इस चौकीदार के बारें में कई लोगों ने दावा किया है कि उन लोगों ने उससे बात भी की हैं। कुछ ऐसा ही मामला दो भाईयों के साथ भी हुआ था। दोनों भाई अपने स्कुल से वापस लौट कर इस अस्पताल में घुमने के लिए आयें थे। अस्पताल के गेट पर आकर उन्हाने अपनी बाइक खड़ी की और अस्पताल के अंदर दाखिल हो गये। अभी वो कुछ ही दूर गये थे कि तभी अस्पताल का चौकीदार उनकी पास आ गया। चूकि दोनों भाई पहली बार उस अस्पताल में आयें थे और पुरा अस्पताल विरान था तो उन दोनों भाईयों ने उससे बातें करनी शुरू कर दी।
जब वो कुछ दूरी पर बात करते गये और दूसरे माले पर पहुंचे तो चौकिदार ने एक भाई का हाथ पकड लिया और कहा कि बस बहुत घुम लिया तुम लोगों ने अब घर जाओं। जैसा कि दोनों भाईयों ने बताया कि उस आदमी के पास से भयानक बदबू आ रही थी, और उसकी आवाज भी काफी भारी थी। जब उसने ये बात कही तो हम डर गये क्यूंकि कई बार हम लोगों ने उस अस्पताल के बारें में सुना था और अंधेरा भी हो रहा था। इसलिए हम वापस आने लगे।
जब हम वापस आ रहे थे तो हमने चौकीदार से पुछा कि आप कहां रहते हैं। तो चौकीदार ने उसी तरफ इशारा किया जिधर उसने हमे जाने से रोका था। फिर हमने पुछा कि आप यहां क्या करते है तो उसने बताया कि मै कई सालों से इस अस्पताल में लोगों की सेवा करता हूं। लेकिन मुझे बहुत दुख है कि यह अस्पताल अब बंद होग गया हैं।
लेकिन मै इसे नहीं छोड सकता इतना कह कर वो सिडीयों से निचे उतरने लगा। हम दोनों उसके पीछे पीछे नीचे उतरे लेकिन वो नीचे कहीं भी नहीं था। इतना देखकर हम दोनों वहा से निकल गये और बाइक के पास आ गये हम दोनों काफी डरे हुए थे, और जल्दी जल्दी में बाइक का लाक भी नहीं खोल पा रहे थे। इसी समय एक भाई की नजर दूसरे के हाथ पर पड़ी जिसका हाथ को उस चौकीदार ने पकड़ा था।
उसके कलाई पर एक काला निशान बन गया था। इतना देखते ही दोनों घबरा गये और वहां से भाग निकले। इस अस्पताल में चारों तरफ रूहों का कब्जा हैं। कभी भी आप इन रूहों को महसूस कर सकते है। लेकिन इस अस्पताल में अकेले घुमने नहीं दिया जाता हैं। क्योकि ऐसा माना जाता है कि कई बार रूहो को अहसास मात्र से कई लोगों के साथ हादसें हो गये हैं।
विशेषकर दूसरे माले पर वहां से अब तीन लोगों की अपने आप ही गिरने से मौत हो गयी हैं। यदि आपकों इन्हे महसूस करना है तो कभी भी अकेले न जायें।
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