June 28, 2014

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 53 (समाप्त)

अब थोडीही देरमें ऍंथोनीको डेथ चेंबरमें इलेक्ट्रीककी चेअरपर बिठाकर देहांतकी सजा दी जानी थी. डिटेक्टीव सॅम, सजा देनेवाला अधिकारी, एक डॉक्टर और एक-दो ऑफिसर्स डेथ चेंबरके सामने खडे थे.. इतनेमें दो पुलिस अधिकारी हथकडीयां पहने स्थितीमें ऍंथोनीको वहा ले आये. देहांतकी सजा देनेकी जिस अधिकारीपर जम्मेदारी थी, उसने अपने घडीकी तरफ देखा और पुलिस अधिकारीको इशारा किया. पुलिस ऑफिसर्स ऍंथोनीको इलेक्ट्रीक चेअरकी तरफ ले गए.

'' ऑपेरटर किधर है '' उसमेंसे एक अधिकारीने पुछा.

एक आदमी तुरंत सामने आया. और इलेक्ट्रीक चेअर ऑपरेट करनेके पॅनलके पास गया. पुलिसके जो लोग ऍंथोनीको इलेक्ट्रीक चेअरके पास ले गए थे उन्होने उसे अब उस चेअरपर इलेक्ट्रीक बिठाया. काले कपडेसे उसका चेहरा ढंका गया. फिर वे पुलिस इलेक्ट्रीक चेअर चेंबरसे बाहर आ गए और उन्होने चेंबर बंद कर दिया.

मुख्य अधिकारीने पॅनलके पास खडे ऑपरेटरकी तरफ देखा. ऑपरेटर पॅनलके पास एकदम तैयार खडा था. फिरसे वह अधिकारी अपनी घडीकी तरफ देखने लगा. शायद उसकी उलटी गीणती शुरु हो गई थी.

भलेही उन लोगोंको वह हमेशाका था फिरभी वातावरणमें थोडा तनाव स्पष्ट दिखने लगा. अचानक उस अधिकारीने ऑपरेटरको इशारा किया.

ऑपरेटरने एक पलकीभी देरी ना करते हूए इलेक्ट्रीक चेअर पॅनलपर एक लाल बटन दबाया.

थोडी देरमें ऑपरेटर 'काम तमाम होगया' इस अंदाजमें उस अधिकारीके तरफ देखने लगा.

'' डॉक्टर '' उस अधिकारीने डॉक्टरको पुकारा.

डॉक्टर झटसे इलेक्ट्रीक चेअर चेंबरके पास गया, चेंबर खोला और अंदर चला गया.

'' सर ही इज डेड'' अंदरसे डॉक्टरका आवाज आगया.

वह अधिकारी एकदमसे मुड गया और वह जगह छोडकर वहांसे चला गया. वह ऑपरेटर वहीं बगलमें एक कमरेमें चला गया. वहा बाजुमेंही खडा एक स्टाफ मेंबर उस चेंबरमें, शायद चेंबर साफ करनेके लिए घुस गया. सबकुछ कैसे किसी मशिनकी तरह चल रहा था. उन सबको भलेही वह हमेशाका हो फिरभी जॉनके लिए वह हमेशा होनेवाली बाते नही थी. वह अबभी वही खडा एक एक चिज और एक एक हो रही बातें ध्यानसे निहार रहा था.

अब डॉक्टरभी वहांसे चला गया.

वहां सिर्फ सॅम अकेलाही बचा. वह अबभी वहां चूपचाप खडा था, उसके दिमागमें शायद कुछ अलगही चल रहा हो.

अचानक कोई जल्दी जल्दी उसके पिछेसे वहां आगया.

'' अच्छा.... हो गया है शायद '' पिछेस आवाज आया.

सॅमने मुडकर पिछे देखा और उसका मुहं आश्चर्यसे खुला का खुला ही रह गया. उसके सामने ऑपरेटर खडा था.

ये तो अभी अभी पॅनल ऑपरेट कर उस बगलके कमरेमे गया था...

फिर अभीके अभी ये इधर किधरसे आगया...

'' मुझे चिंता थी की मेरी अनुपस्थीमें पॅनल कौन ऑपरेट करेगा... '' वह ऑपरेटर बोला.

'' बाय द वे किसने ऑपरेट किया पॅनल?'' उस ऑपरेटरने सॅमको पुछा.

सॅमको एक के बाद एक आश्चर्यके धक्के लग रहे थे. .

सॅमने बगलके कमरेकी तरफ देखा.

'' किसने ऑपरेट किया मतलब ?... तुमनेही तो ऑपरेट किया '' सॅमने अविश्वासके साथ कहा.

'' क्या बात करते हो ?... मै तो अभी अभी यहां आ रहा हूं ..'' उस ऑपरेटरने कहा.

सॅमने फिरसे चौंककर उसकी तरफ देखा और फिर उस बगलके कमरेकी तरफ देखा जिसमें वह थोडी देर पहले गया था.

'' आवो मेरे साथ ...आवो '' सॅम उसे उस बगलके कमरेकी तरफ ले गया.

सॅमने उस कमरेका दरवाजा धकेला. दरवाजा अंदरसे बंद था. उसने दरवाजेपर नॉक किया. अंदरसे कोई प्रतिक्रिया नही थी. सॅम अब वह दरवाजा जोर जोरसे ठोकने लगा. फिरभी अंदरसे कोई प्रतिक्रिया नही थी. सॅम अपनी पुरी ताकदके साथ उस दरवाजेको धकेलने लगा. वह संभ्रममे पडा ऑपरेटरभी अब उसे धकेलनेमें मदद करने लगा.

जोर जोरसे धकेलकर और धक्के देकर आखिर सॅमने और उस ऑपरेटरने वह दरवाजा तोडा.

दरवाजा टूटतेही सॅम और वह ऑपरेटर जल्दी जल्दी कमरेमें घुस गए. उन्होने कमरेमें चारो तरफ अपनी नजरे दौडाई. कमरेमे कोई नही था. उन्होने एक दुसरेकी तरफ देखा. उस ऑपरेटरके चेहरेपर संभ्रमके भाव थे तो सॅमके चेहरेपर अगम्य ऐसे डरके भाव दिख रहे थे.

अचानक उपरसे कुछ निचे गिर गया. दोनोंने चौंककर देखा. वह एक काली बिल्ली थी, जिसने उपरसे छलांग लगाई थी. वह बिल्ली अब सॅमके एकदम सामने खडी होगई और एकटक सॅमकी तरफ देखने लगी. वे आश्चर्यसे मुंह खोलकर उस बिल्लीकी तरफ देखने लगे. धीरे धीरे उस काली बिल्लीका रुपांतर नॅन्सीके सडे हूए मृतदेहमें होने लगा. उस ऑपरेटरके तो हाथपैर कांपने लगे थे. सॅमभी बर्फ जम जाए ऐसा एकदम स्थिर और स्तब्ध होकर उसके सामने जो घट रहा था वह देख रहा था. धीरे धीरे उस सडे हूए मृतदेह का रुपांतर एक सुंदर, जवान तरुणीमें हो गया. हां, वह नॅन्सीही थी. अब उसके चेहरेपर एक सुकून झलक रहा था. देखते देखते उसके आंखोसे दो बडे बडे आंसू निकलकर गालोंपर बहने लगे और धीरे धीरे वह वहांसे अदृष्य होकर गायब होगई.


समाप्त

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 52

डिटेक्टीव सॅम कारागृहमें ऍंथोनीके सामने बैठा था. डिटेक्टिव सॅमको कैसे बात शुरु करे कुछ समझमें नही आ रहा था. आखिर उसने कहा, '' मुझे इतने दिनोंसे एक सवालका जवाब नही मिल रहा था की वह सब नॅन्सीने मुझेही क्यों बताया ?''

'' नॅन्सी? ... आप क्या बोल रहे हो ... वह तो मर गई''

'' हां यह थोडी अजिब और अद्भूत बात है ... लेकिन उसकी रुह अभीभी जिंदा है '' सॅमने कहा.

'' डिटेक्टीव सॅम ... आप यह क्या बोल रहे हो ... आप मेरा मजाक तो नही उडा रहे हो ?''

'' नही मै जो कुछ बोल रहा हूं, जो कुछ बता रहा हूं, वह सब मैने अनुभव किया हूवा है ... तुम्हारा इसपर यकिन ना करना लाजमी है ... मुझेभी शुरु शुरुमें यकिन नही हूवा था...'' सॅमने कहा.

सॅम इतनी गंभीरतासे बोल रहा है यह देखकर ऍंथोनीने वह क्या बोलता है यह पहले ठिकसे सुननेका फैसला किया.

'' तुम्हे जब कोर्टमें जजने सजा सुनाई तब मुझे पता चला की नॅन्सीने वह सब बतानेके लिए मुझे क्यों चुना?'' सॅमने कहा.

'' क्या बतानेके लिए ?'' ऍंथोनीने पुछा.

'' की तुमनेही उन चार लोगोंको नॅन्सीका और जॉनका पता दिया. ''

'' नही मैने नही दिया '' ऍंथोनीने अपना बचाव करनेकी कोशीश की.

'' झूट मत बोल '' सॅमने आवाज चढाकर कहा.

ऍंथोनीने अपनी गर्दन झुकाई.

अब छूपानेमें क्या मतलब है ?...

सजा तो मुझे हो चूकी है ...

'' लेकिन यह सब तुम्हे कैसे पता चला ?'' ऍंथोनीने पुछा.

'' मुझे नॅन्सीने बताया '' सॅमने कहा.

'' लेकिन वहतो मर गई '' ऍंथोनीने आश्चर्यसे कहा.

'' उसकी रुहने ... उसके भूतने मुझे बताया '' सॅमने कहा.

ऍंथोनी उसकी तरफ अविश्वाससे देख रहा था.

'' उसने मुझे इसलिए बताया की मेरे जरिये तुम्हे यह सब पता चले की जोभी सब कत्ल हो चूके है... वे असलमें उसने, नॅन्सीने किये थे... और वे खुन तुमने किये ऐसा सिर्फ आभास उसने तैयार किया था..... और उस कत्लके लिए तुम्हे जो सजा हो रही है ... वह नॅन्सीकीही इच्छा है और इस तरहसे उसने तुमपरभी अपना बदला लिया है ...''

'' ऐसा कैसे हो सकता है ... वे सब कत्ल मैने मेरे बिल्लीके सहारे... वह इलेक्टॉनिक्स, वायरलेस ट्रान्समिशन सब मैने बनाया था... '' ऍंथोनीने सॅमको विश्वास देनेकी कोशीश करते हूए कहा.

'' लेकिन जब मैने तुम्हारा वह इलेक्टॉनिक्स, वायरलेस ट्रॉन्समिशन जांचकर देखा तब वह वेअरहाऊसके दरवाजेके बाहरतकभी काम नही कर पा रहा था... तो फिर उन चारोंके घरोंतक वह सिग्नल्स पहूंचनेका सवालही नही आता '' सॅमने कहा.

'' इतनाही नही तो उसने ऐसी कुछ बाते मुझे बताई की वह तुम्हारे अलावा और किसीकोभी पता नही है...' सॅमने कहा.

'' जैसे ?'' ऍंन्थोनीने पुछा. .

'' जैसे ... नॅन्सी और जॉनने, जब वे चार लोग उनके पिछे पडे हूए थे और वे ड्रेनेज पाईपमें छूपे थे, तब उन्होने तुझे फोन किया वह ... बादमें तुमने उन्हे कोई टॅक्सी पकडकर हिल्टन हॉटेल जानेके लिए कहा वह... .. और तुमने उनका किया हूवा विश्वासघात... दो- दो हजार डॉलर्स हरएकके पास लेनेके बदले तुमने उन चारोंको दिया हूवा उनका पता... और तुम जब पैसे लेनेके लिए गये थे तब उन्होने तुम्हे इस केसमें अटकानेकी दी धमकी ... '' सॅम एक एक कर सब उगल रहा था.

अब ऍंथोनी मुंह और आंखे फाडकर आश्चर्यसे और डरसे सॅमकी तरफ देख रहा था. एक के बाद एक आश्चर्यके धक्के उसे मिल रहे थे. वह सोचने लगा.

यह जो सब जानकारी उसने दी थी वह उसके अलावा और किसीको मालूम होनेका कोई सवालही पैदा नही होता था. ..

फिर यह बाते सॅमको कैसे पता चली ?..

दुसरी एक महत्वपुर्ण बात यह थी की फोन कर उन चार लोगोंको नॅन्सी और जॉनका पता बतानेकी बात सॅमको कैसे पता चली ...

और अब उसके कहे अनुसार सिग्नल ट्रान्समिशन दरवाजेके बाहरतकभी नही पहूंच पा रहा था...

ऍंथोनी अब गहन सोचमें पड गया.

उसे सॅम जो कह रहा था उसमें सच्चाई नजर आ रही थी...

लेकिन यह कैसे मुमकीन है ? ...

ऍंथोनी भूतप्रेतमें कभी यकिन नही करता था.

उसे अहसास हो रहा था की जाने अनजानेमें उसका शरीर कांप रहा है.

'' आप जो कह रहे हो, यह अगर सच माना जाए .... तो नॅन्सीने डायरेक्ट उन चार लोगोंको और फिर बादमें मुझे, ऐसा क्यो नही मारा ... इतना नाटक करनेकी क्या जरुरत थी ...'' अबभी ऍंथोनीका दिल नही मान रहा था.

'' उसने ऐसा क्यो किया ? यह वही जाने... लेकिन यह सच है की उसनेही उन चार लोगोंको मारकर तुम्हे उनके कत्लके इल्जाममें फंसाया है... '' सॅमने कहा.

ऍंथोनी अब एकदम खामोश और गंभीर हो गया था. कत्लका एक एक प्रसंग उसके आंखोके सामनेसे जाने लगा. और हर प्रसंगमें अब उसे नॅन्सीकी अदृष्य उपस्थीतीका अहसास होने लगा था.

'' लेकिन मुझे एक बात नही समझमें आती... की तुमने कोर्टमें नॅन्सीका बदला लेनेके लिए उनको जानसे मारा ऐसा झुठ क्यों कहा?'' सॅमने आखिर उसकी दुखती रगपर हाथ रखा था.

ऍंथोनी गंभीर था, वह और गंभीर हो गया. अब उसकी आंखोमें आंसू आने लगे थे.

उसने सॅमका हाथ अपने हाथमें लिया और उसके संयमका बांध टूट गया. वह उसके हाथपर अपना सर रखकर फुटफुटकर रोने लगा.

'' उसका कत्ल हो ऐसी मेरी बिलकुल इच्छा नही थी. ... लेकिन उन हरामजादोंने उसे जानसे मार दिया... मैने नॅन्सीको प्रपोज किया और उसने इनकार किया था ... इसलिए उसका गरुर तोडनेकी मैने ठान ली थी... और उस दिन जॉनका फोन आया और वह चान्स मुझे मिल गया... उसका सिर्फ बलात्कार हो और उसका गरुर टूटे इतनीही मेरी इच्छा थी... लेकिन बादमें कुछ अलगही घटनाए घटती गई... उसका खुन हो गया.... उन चारोंने मुझेभी उसमें घसिटनेकी धमकी दी ... इसलिए मैने उन चारोंको खतम करनेकी ठान ली.... और फिर मैने उनका एक एक कर कत्ल किया... '' ऍंथोनी रोते हूए सब बयान कर रहा था.

सॅमको क्या बोले कुछ समझ नही आ रहा था.

थोडी देर बाद ऍंथोनी शांत हो गया.

तब सॅमने फिरसे पुछा, '' लेकिन तुमने कोर्टमें नॅन्सीका बदला लेनेके लिए उन चारोंको मारा ऐसा झूठ क्यो कहा. ?''

फिरसे रोती हुई सुरत बनाते हूए ऍंथोनीने कहा, '' बोलता हूं... लेकिन प्लीज वह तुम्हारे और मेरे बिचमेंही रखीए... और किसीको पता नही चलना चाहिए... ''

'' ठिक है मै किसीको नही बताऊंगा '' सॅमने आश्वासन दिया.

'' मैने नॅन्सीके साथ जो किया वह मेरे घरवालोंको और पुरी दुनियाको पता चला तो मेरी उनके सामने क्या इज्जत रहेगी... अब मुझे फांसी हो रही है ... वह मेरे प्रेमीकाके बदलेके तौर पर किये कत्लके लिए ऐसी भलेही उनको गलत फहमी हो लेकिन आज उनके दिलमें मेरे लिए इज्जत और आदर है... वह इज्जत कमसे कम मेरे मरने तक बरकरार रहे ... और वह आपही कर सकते है ... '' ऍंथोनीने अब सॅमके पैर पकड लिए थे.

सॅमको उसकी ऐसी हिन दिन स्थिती देखकर उसपर तरसभी आ रहा था. उसे क्या किया जाए कुछ सुझ नही रहा था.

लेकिन नही ... कुछभी हूवा हो फिरभी ऍंथोनीने किया हुवा गुनाह माफीके लायक नही है. ....

उसके सरपर रखनेके लिए सामने किया हूवा हाथ उसने वैसाही पिछे खिंच लिया. ऍंथोनीने पकडे हूए उसके पैरभी उसने पिछे खिंच लिए. वह उठ गया और भारी कदमोंसे बाहर जानेके लिए दरवाजेके पास गया. चलते हूए एकदमसे दरवाजेके पास रुक गया और पिछे मुडकर उसने ऍंन्थोनीसे कहा, "" नॅन्सीको तुम्हे एक बात बतानेकी इच्छा है ''

'' कौनसी ?'' ऍंन्थोनीने अपनी आंखे पोछते हूए भारी आवाजमें पुछा.

'' की वह तुम्हे कभीभी माफ नही कर पायेगी ''

सॅम वहांसे तेजीसे, लंबे लंबे कदम भरते हूए निकल गया और ऍंन्थोनी डरके मारे फिके पडे, और मायूस चेहरेसे सॅमको जाता हूवा देखता रहा.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 51

डिटेक्टिव्ह सॅम वेअरहाऊसमें अबभी जमिनपर पडा हूवा था. लेकिन अब वह उस ट्रान्स स्टेटसे बाहर आ गया था. उसने झटसे कॉम्प्यूटरके मॉनिटरकी तरफ देखा. अब कॉम्प्यूटर बंद था. उसने वेअरहाउसमें इधर उधर देखा. अब बाहर सवेरा हो गया था और अंदर वेअरहाऊसमें अच्छी खासी रोशनी आ रही थी. कुछ देर पहले जोर जोरसे बह रहे हवाके झोकेभी थम गए थे. वह अब उठकर खडा हो गया और सोचने लगा. इतनेमें उसका खयाल कुछ देर पहले निचे गिरे हूए फोटो फ्रेमकी तरफ गया. उसने वह फ्रेम उठाई और सिधी कर देखी. वह एक ग्रुप फोटो था. ऍंथोनी और उन चार नॅन्सीके कातिलोंका.

उसे अब एक एक बात एकदम स्पष्ट हो चूकी थी. वह जब निचे पडा हूवा था और उसे जो एक एक दृष्य दिखाई दिया था, शायद नॅन्सीके अदृष्य और अतृप्त रुहको वह उसे बताना था. लेकिन उसे वह बतानेकी जरुरत क्यो पडी थी? वह उसे ना बताए हूएभी नॅन्सी जो चाहिए वह अबतक हासिल करते आई थी और आगेभी हासिल कर सकती थी.

फिर उसने यह उसे क्यो बताया था ?...

जरुर कोई वजह होगी ?...

इसमें उसका जरुर कोई उद्देश होगा ...


ऍंथोनीके केसकी काफी दिनोंसे कोर्टमें कार्यवाही चल रही थी. हर बार सॅम कोर्टमें कामकाजके दौरान हाजिर रहता था और वहा बैठकर सब कार्यवाही सुनता था. इधर केसका कामकाज चलता था और उसके दिमागमें वह एकही सवाल घुमते रहता था की नॅन्सीने वह सब बतानेके लिए उसेही क्यो चुना होगा? और नॅन्सीका वह सब उसे बतानेका क्या मकसद रहा होगा ?

की वह सब कुछ उसने कोर्टमें बयान करना चाहिए ऐसा तो नॅन्सीको अपेक्षीत नही होगा ?...

लेकिन अगर वह सब उसने कोर्टमें बताया तो उसपर कौन विश्वास करनेवाला था ?...

उलटा एक जिम्मेदार डिटेक्टीव्हके मुंहसे ऐसी अंधश्रध्दायुक्त बातें सुनकर लोगोंने उसे न जाने क्या क्या कहा होता...

सिर्फ कहा सुनायाही नही तो उसका आगेका पुरा करीयर सवालोंके और शकके घेरेमें आया होता...

वह सोच रहा था. लेकिन आज उसे विचारोंके जंजालमें नही फसना था. आज उसे कोर्टकी कार्यवाही पुरी तरह ध्यान देकर सुननी थी. क्योंकी आज केसचा नतिजा निकलने वाला था.

आखिर इतनी दिनोंसे घसिटते हूए चल रहे केसके सब जाब जबाब हो चुके थे. सॅमकीभी जबानी हो चूकी थी. उसने जो साबीत किया जा सकता था वह सब बताया था.

आखिर वह वक्त आया था. वह पल आ चूका था जिसकी सारे लोग बडी बेचैनीसे राह देख रहे थे - केसके परिणामकी. सॅम अपने कुर्सीपर बैठकर जज क्या फैसला सुनाता है यह सुननेके लिए जजकी तरफ देखने लगा. वैसे उसके चेहरेपर किसीभी भावका अस्तित्व नही था. कोर्टरुममें उपस्थित बाकी सब लोग सांस रोककर जजका आखरी फैसला सुननेके लिए बेताब थे.

जज फैसला सुनाने लगा -

'' सारे सबुत, सारे जाबजवाब, और खुद मि. ऍंथोनी क्लार्कने दिया स्टेटमेंटकी ओर ध्यान देते हूए कोर्ट इस नतिजेपर पहूंचा है की मि. स्टिव्हन स्मिथ, मि. पॉल रोबर्टस, मि. रोनाल्ड पार्कर और मि. क्रिस्तोफर अंडरसन इन चारोभी कत्लमें मि. ऍंथोनी क्लार्क मुजरीम पाया गया है. उसने वह चारो खुन जानबुझकर और पुरी योजना और सतर्कताके साथ किए है. ''

फैसला सुनानेसे पहले जजने एक बडा पॉज लिया. कोर्टमें उपस्थित लोगोंपर अपनी नजर दौडाई और आगे अपना फैसला सुनाया -

'' ...इसलिए कोर्ट मुजरीम ऍंथोनी क्लार्कको देहांतकी सजा सुनाता है ''

जजने आखरी फैसला सुनाया था. इस फैसलेका जिन चार लोगोंके कत्ल हूए थे उनके रिश्तेदारोंने तालियां बजाकर स्वागत किया तो काफी लोगोंको यह फैसला पसंद नही आया. नॅन्सीका भाई जॉर्ज तो नाराजगी जाहिर करते हूए कोर्टरुमसे उठकर चला गया. लेकिन डिटेक्टीव सॅमके चेहरेपर कोई भाव नही उभरे थे. ना खुशीके ना गमके. लेकिन फैसला सुननेके बाद सॅमको काफी दिनोंसे सतारहे सवालका जवाब मिल गया था.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 50

ऍंथोनीने इस मसलेको पुरी तरह आर या पार करनेका मनही मन ठान लिया था. आखिर उसे अपनी चमडी बचाना जरुरी था. क्या करना है यह उसने मनही मन तय किया था. लेकिन पहले एकबार नॅन्सीके भाईको मिलना उसे जरुरी लग रहा था. वैसे नॅन्सीके क्लासमेटके हैसीयतसे वह उसे थोडाबहुत जानता था. जॉर्जको पुरे मसलेकी कहांतक जानकारी है और यह जानकारी उसे कहांसे मिली यह उसे मालूम करना था. और सबसे महत्वपुर्ण जॉर्जको कही उसपर शक तो नही यह उसे जानना था.

ऍंथोनी जॉर्जके दरवाजेके सामने आकर खडा होगया. वह अब बेल दबानेही वाला था इतनेमें बडे जोरसे और बडे अजीब ढंगसे कोई चिखा. एक पलके लिए तो वह चौंकही गया.... की क्या हूवा. उसका बेल दबानेवाला हाथ डरके मारे पिछे खिंच गया.

मामला कुछ सिरीयस लगता है ...

इसलिए वह दरवाजेकी बेल न दबाते हूए जॉर्जके मकानके खिडकीके पास गया और उसने अंदर झांककर देखा...


... अंदर जॉर्जके हाथमें एक गुड्डा पकडा हूवा था. उस गुड्डेकी तरफ गुस्सेसे और घृणासे देखते हूए फिरसे वह अजिब तरहसे चिखा. ऍंथोनीको उस चिखके बाद वातावरण मे फैला सन्नाटा गुढ और भयानक लग रहा था.


ऍंथोनी अबभी खिडकीसे यह क्या माजरा है यह जाननेकी कोशीश कर रहा था. अंदर चलरहे विधीसे वह उसे कोई जादूटोना होगा ऐसा लग रहा था. लेकिन उसका जादूटोनेपर विश्वास नही था. वह अंदर चल रहा विधी ध्यान देकर देखने लगा...


... अंदर अब जॉर्ज उस गुड्डेसे बोलने लगा, '' स्टिव्हन... अब तू मरनेके लिए तैयार हो जा ''

अचानक जॉर्जने आवाज बदला और मानो वह उस गुड्डेका संवाद, जिसे वह स्टिव्हन समझ रहा था, बोलने लगा, '' नही ... मुझे मरना नही है ... जॉर्ज मै तुम्हारे पैर पडता हू... तुम्हारी माफी मांगता हू ... तु जो बोलेगा वह करनेके लिए मै तैयार हूं ... सिर्फ मुझ पर तरस खा और मुझे माफ करदे ...''

जॉर्ज फिरसे पुर्ववत अपने आवाजमें अपनी वाक्य बोलने लगा, '' तुम मेरे लिए कुछभी कर सकते हो? ... तू मेरे बहनको, नॅन्सीको वापस ला सकता है ?''

'' नही ... वह मै कैसे कर सकता हूं ... वह मेरे पहूंच के परे है ... वह छोडकर तुम कुछभी मांगो... मै तुम्हे वचन देता हूं की वह मै तुम्हारे लिए करुंगा... '' फिरसे जॉर्ज आवाज बदलकर उस गुड्डेके यानीकी स्टिव्हनके संवाद बोलने लगा.

'' तू मेरे लिए कुछभी कर सकता है?.... तो फिर तैयार हो जा... मुझे तुम्हारी जान चाहिए... '' जॉर्ज फिरसे आवाज बदलकर उसका खुदका संवाद बोलने लगा.


खिडकीसे यह सब ऍंथोनी काफी देरसे देख रह था. वह देखते हूए अचानक उसके दिमागमें एक योजना आ गई. उसके चेहरेपर अब एक वहशी मुस्कान दिखने लगी. वह खिडकीसे हट गया और दरवाजेके पास गया. उसने कुछ सोचा और वह वैसाही जॉर्जके दरवाजेकी बेल ना बजाते हूएही वहासे वापस चला गया.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 49

ऍंथोनी कॉम्प्यूटरपर बैठा था और एक काली बिल्ली जिसके गलेमें काला बेल्ट पहना था वह उसके इर्दगिर्द खेल रही थी. जिस टेबलपर कॉम्प्यूटर रखा था उस टेबलपर वायरके टूकडे, बिल्लीके गलेमे पहननेके बेल्टस, और कुछ इलेक्ट्रनिक्सके छोटे छोटे उपकरण इधर उधर फैले हूए थे. ऍंथोनीका जिस दिवारकी तरफ मुंह था उस दिवारपर न्यूरॉलॉजी और ब्रेनकी तरह तरहकी तस्वीरे लटकाई हूई थी.

ऍंथोनीने बिजलीकी चपलतासे कीबोर्डके और माऊसके कुछ बटन्स दबाए तो उसके कॉम्प्यूटर स्क्रिनपर एक सॉफ्टवेअर ओपन हो गया. उस सॉफ्टवेअरकेभी अलग अलग मेनु, अलग अलग बटन्स और टेक्स्ट बॉक्सेस स्क्रिनपर दिखने लगे. उस सॉफ्टवेअरके अलग अलग बटन्समेसे एक बटनपर ऍंथोनीने माऊससे क्लीक किया. उस बटनपर 'अटॅक' ऐसा लिखा हूवा था. अचानक उसके इर्दगिर्द एक टेडीबिअरके साथ खेल रहे उस बिल्लीने उग्र स्वरुप इख्तीयार लिया और वह उस टेडी बिअरपर टूट पडी. इतनी क्रुरतासे वह बिल्ली उस टेडी बिअरपर टूट पडी की कुछ क्षणमेंही उसने उस टेडी बिअरके अपने दातसे फाडकर और तोडकर छोटे छोटे टूकडे कर दिए. बिल्ली जब उस टेडी बिअरपर हमला कर रही थी तब ऍंथोनी बडे अभीमानसे उस बिल्लीकी तरफ देख रहा था. आखिर जब उस बिल्लीने उस टेडी बिअरको पुरी तरहसे फाड दिया और तोड दिया, एक विजयी मुस्कुराहट ऍंथोनीके चेहरेपर फैल गई.

इतनेमें अचानक ऍंथोनीको सामने दरवाजेके पास किसी चिजकी आहट हो गई. ऍंथोनी सबकुछ वही वैसाही छोडकर सामने दरवाजेके पास गया. दरवाजा खोला तो उसने दरवाजेमें सामने न्यूजपेपर पडा पाया. उसने उसे उठाया, न्यूज पेपरके पन्ने पलटते हूए वह घरमें वापस आया और पन्ने पलटते हूएही दरवाजा बंद कर लिया. अचानक न्यूज पेपरके एक खबरने उसका ध्यान आकर्षीत किया. वह खबर वह गंभीरतासे पढते हूए अपने कॉम्प्यूटरके पास आया. वह कुर्सीपर बैठ गया और वह खबर ध्यान लगाकर पढने लगा.

वह जो खबर पढ रहा था उसका हेडींग था ' नॅन्सीके भाईने 'उन' चारोंपर केस कर दी '.

और उस खबरके निचेही क्रिस्तोफर, रोनॉल्ड, पॉल और स्टिव्हनके फोटो थे. उसने वह पेपर सामने टेबलपर कॉम्प्यूटरके पास रख दिया और वह सोचमें डूब गया. नॅन्सीको उन चारोंने बलात्कार कर मारनेके बाद जब वह उनके पास पैसे मांगनेके लिए गया तबका संवाद उसे याद आने लगा ....


'' कही तुम लोगोंने उस लडकीका खुन तो नही किया ?'' ऍंथोनी किसी तरहसे हिम्मत जुटाकर बोला.

'' तुम नही ... हम ... हम सब लोगोंने '' क्रिस्तोफरने उसके वाक्यको सुधारा.

'' एक मिनट ... एक मिनट... तुम लोगोने अगर उस लडकीको मारा होगा... तो यहां कहा मेरा संबंध आता है '' ऍंथोनीने अपना बचाव करते हूए कहा.

'' देखो .. अगर पुलिसने हमें पकड लिया... तो वह हमें पुछेंगे... की लडकीका अता पता तुम्हे किसने दिया...?..'' रोनॉल्डने कहा.

''... तो हमने भलेही ना बतानेकी ठान ली फिरभी हमें बतानाही पडेगा... '' पॉलने अधूरा वाक्य पुरा किया.

'' ... की हमें हमारे जिगरी दोस्त ऍंथोनीने मदत की '' पॉल शराबके नशेमें बडबडाया.

'' देखो .. तुम लोग बिना वजह मुझे इसमें लपेट रहे हो.. '' ऍंथोनी अब अपना बचाव करने लगा था.

"' लेकिन दोस्तो ... एक बडी अजिब चिज होनेवाली है '' क्रिस्तोफरने मंद मंद मुस्कुराते हूए कहा.

'' कौनसी ?'' रोनॉल्डने पुछा.

'' की पुलिसने हमें अगर पकडा और बादमें हमें फांसी होगई ..'' क्रिस्तोफरने बिचमें रुककर अपने दोस्तोंकी तरफ देखा. वे एकदम सिरीयस हो गए थे.

'' अबे ... सालो... मेरा मतलब है अगर हमें फांसी होगई ...'' क्रिस्तोफरने स्टिव्हनकी पिठ हलकेसे थपथपाते हूए कहा.

पॉल शराबका ग्लास सरपर रखकर अजीब तरहसे नाचते हूए बोला, '' हां ... हां अगर हमें फांसी होगई तो...''

ऍंन्थोनीको छोडकर सारे लोग उसके साथ हंसने लगे.

फिरसे कमरेका वातावरण पहले जैसा होगया.

''हां तो अगर हमें फांसी होगई ... तो हमें उसके बारेंमे कुछ खांस बुरा नही लगेगा... क्योंकी आखिर हमने मिठाई खाई है ... लेकिन इस बेचारे ऍंथोनीको मिठाई हलकीसी चखनेकोभी नही मिली ... उसे मुफ्तमेंही फांसीपर लटकना होगा. '' क्रिस्तोफरने कहा.

कमरेंमे सब लोग, सिर्फ एक ऍंन्थोनीको छोड, जोर जोरसे हंसने लगे.


..... ऍंथोनी अपने दिमागमें चल रहे सोचके चक्रसे बाहर आगया.

अब अगर यह केस ऐसीही चलती रही तो कभीना कभी क्रिस्तोफर, रोनॉल्ड, पॉल और स्टिव्हन अपनेको इसमें घसीटने वाले है...

फिर हमभी इस केसमें फंस जायेंगे...

नही ऐसा कतई नही होना चाहिए... .

मुझे कुछ तो रास्ता निकालनाही पडेगा ...

सोचते हूए ऍंथोनी अपने इर्दगिर्द खेल रहे उस बिल्लीकी तरफ देख रहा था. अचानक एक विचार उसके दिमागमें कौंध गया और उसके चेहरेपर एक गुढ मुस्कुराहट दिखने लगी.

अगर मैने इन चारोंको रास्ते से हटाया तो कैसा रहेगा?...

ना रहेगा बास न बजेगी बांसुरी...


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 48

क्रिस्तोफर, रोनॉल्ड, पॉल, स्टिव्हन और ऍंथोनी टेबलके इर्दगिर्द बैठकर व्हिस्कीके जामपर जाम खाली कर रहे थे. क्रिस्तोफर और उसके तिन दोस्त पिकर टून होगए थे. ऍंथोनी अपनी हदमें रहकरही पी रहा था.

'' फिर ऍंथोनी ... इतनी रात गए इधर किधर घुम रहे हो?.. '' स्टिव्हनने ऍंथोनीके पिठपर हलकेसे मारते हूए पुछा.

उसे अच्छी खासी चढ गई थी ऐसा लग रहा था.

'' सच कहूं तो मै तुम्हारे यहा उस ट्रीटके बारेमें बात करनेके लिए आया था. '' ऍंथोनीने मौके का फायदा उठाते हूए असली बातपर आते हूए कहा.

'' कौनसी ट्रीट?'' पॉलने पुछा.

एकतो उसके खयालमें नही आया था या वह वैसा जतानेकी कोशीश कर रहा था.

'' अबे पगले... वह उस लडकीके बारेमें बोल रहा है '' ऍंथोनी बात स्पष्ट करनेके पहलेही रोनॉल्ड बिचमें बोला.

'' बाय द वे... तुम्हे ट्रीटका मजा आया की नही '' ऍंथोनीने पुछा.

सबलोग एकदम स्तब्ध, शांत और सिरीयस होगए. ऍंथोनी संभ्रममें उनके चेहरेकी तरफ देखने लगा.

'' देखो ... तुम्हारी ट्रीट शुरु शुरुमें अच्छी लगी ... लेकिन आखिरमें... ''

'' वह होता हैना की कभी कभी सुप शुरु शुरुमें अच्छा लगता है लेकिन आखिरमें तलेमें बैठे नमककी वजहसे उसका मजा किरकिरा हो जाता है....'' रोनॉल्ड क्रिस्तोफरका वाक्य पुरा होनेके पहलेही बोला.

'' तुम लोग क्या बोल रहे हो यह मुझेतो कुछ समझमें नही आ रहा है.. '' ऍंथोनी उसके चेहरेकी तरफ संभ्रमभरी दशामें देखते हूए बोला.

स्टिव्हनने क्रिस्तोफरकी तरफ देखते हूए पुछा, '' क्या इसको बोला जाये?''

'' अरे क्यो नही ... उसे मालूम कर लेने का हक है ... आखिर उस कार्यमें वह अपना बराबरका हिसेदार था... .'' क्रिस्तोफरने कहा.

'' कार्य ? ... कैसा कार्य ?'' ऍंथोनीने बेचैन होकर पुछा. .

'' खुन'' रोनॉल्डने ठंडे लहजेमें कहा.

'' ए उसे खुन मत बोल .... वह एक ऍक्सीडेंट था.'' पॉलने बिचमें टोका.

ऍंथोनीका चेहरा डरके मारे फिका पड चूका था.

'' कही तुम लोगोंने उस लडकीका खुन तो नही किया ?'' ऍंथोनी किसी तरहसे हिम्मत जुटाकर बोला.

'' तुम नही ... हम ... हम सब लोगोंने '' क्रिस्तोफरने उसके वाक्यको सुधारा.

'' एक मिनट ... एक मिनट... तुम लोगोने अगर उस लडकीको मारा होगा... तो यहां कहा मेरा संबंध आता है '' ऍंथोनीने अपना बचाव करते हूए कहा.

'' देखो .. अगर पुलिसने हमें पकड लिया... तो वह हमें पुछेंगे... की लडकीका अता पता तुम्हे किसने दिया...?..'' रोनॉल्डने कहा.

''... तो हमने भलेही ना बतानेका ठान लिया फिरभी हमें बतानाही पडेगा... '' पॉलने अधूरा वाक्य पुरा किया.

'' ... की हमें हमारे जिगरी दोस्त ऍंथोनीने मदत की '' पॉल शराबके नशेमें बडबडाया.

'' देखो .. तुम लोग बिना वजह मुझे इसमें लपेट रहे हो.. '' ऍंथोनी अब अपना बचाव करने लगा था.

"' लेकिन दोस्तो ... एक बडी अजिब चिज होनेवाली है '' क्रिस्तोफरने मंद मंद मुस्कुराते हूए कहा.

'' कौनसी ?'' रोनॉल्डने पुछा.

'' की पुलिसने हमें पकडा और बादमें हमें फांसी होगई ..'' क्रिस्तोफरने बिचमें रुककर अपने दोस्तोंकी तरफ देखा. वे एकदम सिरीयस हो गए थे.

'' अबे ... सालो... मेरा मतलब है अगर हमें फांसी होगई ...'' क्रिस्तोफरने स्टिव्हनकी पिठ हलकेसे थपथपाते हूए कहा.

पॉल शराबका ग्लास सरपर रखकर अजीब तरहसे नाचते हूए बोला, '' हां ... हां अगर हमें फांसी होगई तो...''

ऍंन्थोनीको छोडकर सारे लोग उसके साथ हंसने लगे.

फिरसे कमरेका वातावरण पहले जैसा होगया.

''हां तो अगर हमें फांसी होगई ... तो हमें उसके बारेंमे कुछ खांस बुरा नही लगेगा... क्योंकी आखिर हमने मिठाई खाई है ... लेकिन उस बेचारे ऍंथोनीको मिठाई हलकीसी चखनेकोभी नही मिली ... उसे मुफ्तमेंही फांसीपर लटकना होगा. '' क्रिस्तोफरने कहा.

कमरेंमे सब लोग, सिर्फ एक ऍंन्थोनीको छोड, जोर जोरसे हंसने लगे.

'' सच कहूं तो मै यहां तुम्हारे हर एकके पाससे दो-दो हजार डॉलर्स लेनेके लिए आया था. '' ऍंथोनीने कहा.

'' दो-दो हजार डॉलर्स ? ... मेरे दोस्त अब यह सब भूल जा ... '' रोनॉल्डने कहा.

ऍंथोनी उसकी तरफ गुस्सेसे देखने लगा.

'' देख अगर सबकुछ ठिक हूवा होता तो हम तुम्हे कभी ना नही कहते... बल्की हमारी खुशीसे तुम्हे पैसे देते... लेकिन अब परिस्थीती बहुत अलग है... वह लडकीकी मौत होगई ..'' रोनॉल्ड उसे समझाबुझानेके स्वरमें बोला.

'' .. मतलब ऍक्सीडेंटली ..'' स्टिव्हनने बिचमेंही जोडा.

'' तो अब वह सब ठिकाने लगानेके लिए पैसा लगेगा. ...'' रोनॉल्डने कहा.

'' सच कहूं तो ... हमही तुम्हारेपास इस सबका निपटारा करनेके लिए पैसे मांगने वाले थे...'' पॉलने कहा.

फिर सब लोग, ऍंथोनीको छोडकर, जोर जोरसे हंसने लगे. पहलेही उन्हे चढ गई थी और अब वे उसकी मजाक उडा रहे थे.

ऍंथोनीके जबडे कस गए. गुस्सेसे वह उठ खडा हूवा और पैर पटकते हूए वहांसे चलते बना. दरवाजेसे बाहर निकलनेके बाद उसने गुस्सेसे दरवाजा जोरसे पटक दिया.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 47

क्रिस्तोफर, रोनॉल्ड, पॉल और स्टीव्हन एक पुराने मकानमें, एक टेबल के इर्दगिर्द बैठे हूए थे. उनके हाथमें आधे पिये हूए व्हिस्कीके जाम थे. चारोभी अपने अपने विचारोंमे खोए हूए व्हिस्की पी रहे थे. उनमें एक तणावपुर्ण सन्नाटा छाया हूवा था. .

'' उसे तुमने क्यों मारा ?'' रोनॉल्डने सन्नाटा तोडते हूए क्रिस्तोफरको सवाल किया.

वैसेतो चारोंमेसे किसीकी क्रिस्तोफरको इस तरहसे सवाल पुछनेकी हिम्मत नही थी. लेकिन नौबतही वैसी आगई थी. और पीनेकी वजहसे उनमें उतनी हिम्मत आगई थी.

'' ए वेवकुफकी तरह बडबड मत कर... मैने उसे मारा नही ... वह उस हादसेमें मारी गई..'' क्रिस्तोफरने बेफिक्र होकर कंधे उचकाते हूए कहा.

'' हादसेमें ?''

भलेही क्रिस्तोफर इस बारेंमे बेफिक्र है ऐसा जता रहा था फिरभी वह अंदरसे बेचैन था.

अपनी बेचैनी छूपानेके लिए उसने व्हिस्कीका एक बडा घूंट लिया, '' देखो ... वह कुछ जादाही चिल्ला रही थी इसलिए मैने उसका मुंह दबाकर बंद किया... और मुझे पताही नही चला की उसमें उसका नाकभी दबकर बंद होगया करके...''

'' फिर अब क्या किया जाएं ?'' स्टिव्हनने पुछा.

उन चारोंमे स्टिव्हन और पॉल सबसे जादा डरे हूए दिख रहे थे.

'' और अगर पुलिसने हमें पकड लिया तो ?'' पॉलने अपनी चिंता व्यक्त की.

'' देखो कुछभी हूवा नही है ऐसा व्यवहार करो... किसीने कुछ पुछाभी तो ध्यान रहे की हम कल रातसे यहां ताश खेल रहे है... फिरभी अगर कोई गडबड हूई तो हम उसमेंसेभी कुछ रास्ता निकालेंगे... और यह मत समझो की यह मेरी पहली बारी है ...की मैने किसीको मारा है '' क्रिस्तोफर झुटमुठका ढांढस बंधानेकी चेष्टा करते हूए बोला.

'' लेकिन वह तुमने मारा था ... और तब तुम्हे उन्हे मारनाही था '' रोनॉल्डने कहा.

'' उससे क्या फर्क पडता है ... मारना और हादसेमें मरना ... मरना मरना होता है ... '' क्रिस्तोफरने कहा.

उतनेमें दरवाजेपर किसीकी आहट सुनाई दी और किसीने दरवाजेपर हलकेसे नॉक किया.

कमरेके सब लोगोंका बोलना और पिना बंद होकर वे एकदम स्तब्ध होगए.

उन्होने एकदुसरेकी तरफ देखा.

कौन होगा ?...

पुलिसतो नही होंगे ?...

कमरेमें एकदम सन्नाटा छा गया.

क्रिस्तोफरने स्टीव्हनको कौन है यह देखनेके लिए इशारा किया.

स्टीव्हन धीरेसे चलनेका आवाज ना हो इसका खयाल रखते हूए दरवाजेके पास गया. बाहर कौन होगा इसका अंदाजा लिया और धीरेसे दरवाजा खोलकर तिरछा करते हूए उसमेंसे बाहर झांकने लगा. सामने ऍंथोनी था. स्टिव्हनने उसे अंदर आनेकेलिए इशारा कर अंदर लिया. जैसेही ऍंथोनी अंदर आया उसने फिरसे दरवाजा बंद कर लिया.

रोनॉल्डने और एक व्हिस्कीका जाम भरते हूए कहा, '' अरे.. आवो... बैठो ...जॉइन अवर कंपनी''

ऍंथोनी रोनॉल्डने ऑफर किया हूवा व्हिस्कीका जाम लेते हूए उनके साथ उनके सामने बैठ गया.

'' चिअर्स'' रोनॉल्डने उसका जाम ऍंन्थोनीके जामसे टकराते हूए कहा.

'' चिअर्स'', ऍंन्थोनीने वह जाम अपने मुंहको लगाया और वहभी उनके कंपनीमें शामील होगया.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 46

क्रिस्तोफर और उसके तिन दोस्त अबभी पागलोंकी तरह नॅन्सी और जॉनको ढूंढ रहे थे. आखिर ढूंढ ढूंढकर थकनेके बाद फिरसे जिस चौराहेसे उन्होने उन्हे ढूंढनेकी शुरवात की थी उस चौराहेपर क्रिस्तोफर और स्टिव्हन वापस आ गए. उनके पिछे पिछे बडी बडी सांसे लेते हूए सांसे फुला हूवा रोनॉल्ड आगया. 

'' मिल गई ? '' स्टीव्हनने पुछा. 

रोनॉल्डने सिर्फ ना मे सर हिलाया. 

'' सालोंको क्या आसमान खा गया या पाताल निगल गया?'' क्रिस्तोफर चिढकर बोला. 

इतनेमें उन्हे दुरसे पॉल उनकी ओर आता दिखाई दिया. उन्होने बडी आसकी साथ उसकी तरफ देखा. लेकिन उसने दुरसेही अपना अंगुठा निचे कर वे नही मिलनेका इशारा किया. 

'' सालों क्या बारा बजा हूवा मुंह लेकर आये हो... जावो उसे ढूंढो... और जबतक वह मिलती नही तबतक वपस मत आवो... '' क्रिस्तोफर गरज उठा. 

उतनेमें क्रिस्तोफरके फोनकी रिंग बजी. 

किस्तोफरने फोन उठाया और, '' हॅलो '' वह नाराजगीसेही फोनमें बोला.

'' हे... मै ऍंथोनी बोल रहा हूं ... '' उधरसे नॅन्सी और जॉनका क्लासमेट ऍंथोनी बोल रहा था. 

'' हां बोलो ऍंथोनी'' क्रिस्तोफर सपाट स्वरमें बोला. उसके स्वरमें उसका फोन आनेकी खुशीतो झलकती नही दिखाई दे रही थी. 

'' एक खुशीकी बात है ... मैने तुम्हारे लिए एक ट्रीट अरेंज की है '' उधरसे ऍंथोनी बोला. 

'' देखो ऍंथोनी ... अभी हमारा मुड कुछ ठिक नही है ... और तुम्हारी ट्रीट अटेंड करने इतनातो हैही नही.'' क्रिस्तोफरने कहा. 

'' अरे फिर तो यह ट्रीट तुम्हारा मुड जरुर ठिक करेगी ... पहले सुन तो लो... एक नया पंछी अपने शहरमें आया हूवा है ... फिलहाल मैने उसे खास तुम्हारे लिए एक महफुस जगह भेजा है... '' ऍंथोनीका उधरसे उत्साहसे भरा स्वर आया. 

'' पंछी ?... इस शहरमें नया ... एक मिनट ... एक मिनट... क्या वह उसके बॉयफ्रेंडके साथ है ?'' क्रिस्तोफरने पुछा. 

'' हां '' उधरसे ऍंथोनीने कहा. 

'' उसके गालपर हसनेके बाद डिंपल दिखने लगता है .?'' क्रिस्तोफरने विचारले.

'' हां '' उधरसे ऍंथोनीने कहा. 

'' उसके दाएं हाथपर शेरका टॅटूभी है ... बराबर'' क्रिस्तोफरका चेहरा खुशीसे खिलने लगा. 

'' हां .. लेकिन यह सब तुम्हे कैसे पता ?'' उधरसे ऍंथोनीने आश्चर्यसे पुछा. 

'' अरे वह तो वही लडकी है .... रोनॉल्ड, पॉल, स्टीव और मै सुबहसे जिसके पिछे थे... और अभी थोडी देर पहले वह हमें झांसा देकर यहां से गायब हो गई है ... लेकिन लगता है साली हमारे नसीबमेंही लिखी है ''

सबके चेहरे एकदम खुशीसे चमकने लगे. स्टीव्ह और पॉलके चेहरेपर तो खुशी समाये नही समा रही थी. 

'' सच?'' उधरसे ऍंथोनीभी आश्चर्यसे बोला. 

'' यार ऍंथोनी... आज तो तुमने मेरा दिल खुश कर दिया है ... इसे कहते है सच्चा दोस्त '' क्रिस्तोफरभी खुशीके मारे उत्तेजीत होकर बोल रहा था. 

'' अरे अभीतो हम उसे पता नही कहां कहां ढूंढ रहे थे... किधर है वह ?... सच कहूं... हम लोग उसके बदले तुम्हे जो चाहिए वह दे देगे '' क्रिस्तोफरने खुशीके मारे वादा किया. 

'' देखो ... फिर मुकर ना जाना '' ऍंथोनीने अविश्वासभरे स्वरमें कहा. 

'' अरे नही ... इट्स जेन्टलमन्स प्रामीस'' क्रिस्तोफर किसी राजाकी तरह खुश होकर बोला. 

'' दो हजार डॉलर्स ... हर एकके पाससे ... मंजूर?'' ऍंथोनीनेभी वक्तके तकाजेका फायदा लेनेकी ठान ली. 

'' मंजूर'' क्रिस्तोफरने बेफिक्र लहजेमें कहा. 


क्रमश:...