बात आज से लगभग तीन साल पहले की है जब मैं अपने करीबी दोस्त की शादी में
शामिल होने उसके गाँव गया था। हम दोनों दिल्ली की एक कंपनी में साथ काम
करते थे लेकिन उसका परिवार राजस्थान के एक छोटे से गांव से संबंध रखता था।
उसके विवाह से जुड़े सभी आयोजन वहीं गांव में ही होने थे इसीलिए उसकी शादी
से तीन दिन पहले ही मैं वहाँ जाने के लिए निकल पड़ा।
जयपुर एयरपोर्ट पर उतरने के बाद मैंने उसके गाँव पहुँचने के लिए एक टैक्सी की। मेरे दोस्त साहिल का गाँव जयपुर से काफी दूर था। ड्राइवर ने पहले ही कहा था कि पूरे 24 घंटे में ही हम उस गाँव में पहुँच पाएँगे। सफर लंबा था इसीलिए टैक्सी ड्राइवर से बातें भी शुरू हो गईं।
बातें करते-करते उसने गांव-देहातों में फैले भूत-प्रेतों के किस्सों का जिक्र छेड़ दिया। उसका कहना था कि जिस गाँव में मैं जा रहा हूँ, वहाँ तो डायनों का आना बहुत आम है। उसने मुझे एक नहीं ना जाने कितने ही किस्से सुना दिए उस गांव और डायन से जुड़े हुए।
अब आप तो जानते ही हैं कि दिल्ली जैसे महानगर में रहने वाले युवा कहाँ इन आत्माओं और डायनों की बात पर यकीन करते हैं। मेरे जैसे अधिकांश लोगों के लिए यह सब मनोरंजन का एक जरिया हो सकता है इससे ज्यादा कुछ नहीं लेकिन शायद वह आखिरी बार था जब मैंने इन सब काली शक्तियों को बस एक मजाक के रूप में लिया था क्योंकि उसके बाद तो जैसे मैं इन पर ना सिर्फ विश्वास करने लगा बल्कि हर समय इनकी उपस्थिति का अहसास भी करने लगा।
ड्राइवर का कहना था कि सुबह आठ बजे तक हम अपनी मंजिल पर पहुँच जाएँगे। रात 10 बजे के आसपास हमने एक ढाबे पर खाना खाया और फिर सफर की थकान की वजह से आँख लग गई।
अचानक हमारी गाड़ी खराब हो गई और वो भी ऐसी जगह जहाँ से कुछ भी मदद मिलना लगभग नामुमकिन था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। सुबह होने का इंतजार भी नहीं कर सकते थे और आसपास कोई ठीक जगह भी नहीं थी। ड्राइवर का कहना था कि 2-3 किलोमीटर पर एक ढाबा है आप वहाँ पहुँच जाओ, मैं गाड़ी ठीक करवाकर आ जाऊँगा। मैंने उसकी बात मान ली और पैदल चलने लगा। बहुत चलना था इसीलिए कानों में इयरफोन लगा लिया और सोचा इससे समय अच्छा बीत जाएगा।
कुछ दूर चलते ही मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे साथ कोई चल रहा है। बड़ी तेज महक सी आई और बहुत देर तक अपने साथ किसी और के होने का अहसास हुआ। पहले लगा कि जैसे यह मेरा वहम है लेकिन धीरे-धीरे वो वहम हकीकत या यूँ कहें भयानक हकीकत की शक्ल लेने लगा।
पहले मुझे केवल अहसास हो रहा था कि कोई मेरे साथ-साथ चल रहा है लेकिन धीरे-धीरे किसी की शारीरिक आकृति मुझसे कुछ कदम दूरी पर दिखाई देने लगी।
वह एक सुंदर लड़की थी, उसने मुझसे पूछा कि इतनी रात को अकेले मैं कहाँ जा रहा हूँ?
तो मैंने उसे अपनी कहानी बता दी कि कैसे गाड़ी खराब हुई और मैं पैदल चलने के लिए मजबूर हुआ।
मैंने भी उससे यही सवाल किया कि वह इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है। उसने मुझे बोला कि वह अकसर इस रास्ते पर आती-जाती है।
इससे पहले मैं उससे कुछ और पूछता, उसने मुझे बोला कि आपके दोस्त की शादी तो कल है ना आप कैसे पहुँच पाओगे?
उसका यह सवाल सुनकर मैं हैरान रह गया कि उसे कैसे पता !!
मैंने पूछा- आपको मेरे दोस्त की शादी के बारे में कैसे पता?
तो उसने मुझे बताया कि ऐसे ही।
मैं चुप हो गया।
उसने अपना नाम कविता बताया था। फिर वह कोई अजीब सा गाना गुनगुनाने लगी और मैं चुपचाप उसके साथ चलता रहा।
आगे बढ़ा तो सामने एक बड़ा और घना पेड़ दिखाई दिया। मैं उसकी तस्वीर उतारने लगा तो उस लड़की ने मुझे ऐसा ना करने को बोला।
मैंने पूछा- क्यों?
तो उसने बोला- रात के समय तस्वीर नहीं उतारते।
मैंने अपना कैमरा अंदर रख लिया।
मेरी नजर अचानक मेरी नजर पेड़ से थोड़ी दूर पर खड़ी तीन औरतों पर गई। तीनों औरतें धीरे-धीरे मेरे पास आने लगी। जैसे-जैसे वो पास आती गईं उनका चेहरा नजर आने लगा जो बहुत डरावना था। वे मुझे अपने पास बुलाने लगीं लेकिन कविता ने उनका इशारा देख लिया और मुझे तेज-तेज चलने के लिए बोला।
मैं चलने क्या भागने लगा। थोड़ी दूर आते ही वे तीनों औरतें गायब हो गईं।
मैंने कविता ने पूछा- वो कौन थीं?
उसने बताया कि वे इस गाँव में पिछले कई सौ सालों से घूम रही हैं, गांव के लोग उन्हें बुरी आत्माएँ कहते हैं। आपको उनसे बचाने के लिए ही मैं आपके साथ-साथ आई हूँ।
मैंने पूछा- तुम कैसे बचा सकती हो?
उसने फिर कोई जवाब नहीं दिया।
हम बहुत दूर निकल आए थे, कविता ने कहा कि ढाबा आने वाला है और रास्ता भी सुरक्षित है, अब मुझे चलना चाहिए।
मैंने पूछा- तुम आगे तक नहीं जाओगी?
उसने कहा- मेरी मंजिल तो यही है।
जाते-जाते उसने मुझे बस एक बात बोली- हर आत्मा बुरी नहीं होती साहब !!
उसकी बात का मतलब समझते मुझे बिल्कुल देर नहीं लगी और मैं समझ गया कि वह एक भली आत्मा थी जो मुझे बुरी शक्तियों से बचाने के लिए मेरे साथ-साथ आई थी !
जयपुर एयरपोर्ट पर उतरने के बाद मैंने उसके गाँव पहुँचने के लिए एक टैक्सी की। मेरे दोस्त साहिल का गाँव जयपुर से काफी दूर था। ड्राइवर ने पहले ही कहा था कि पूरे 24 घंटे में ही हम उस गाँव में पहुँच पाएँगे। सफर लंबा था इसीलिए टैक्सी ड्राइवर से बातें भी शुरू हो गईं।
बातें करते-करते उसने गांव-देहातों में फैले भूत-प्रेतों के किस्सों का जिक्र छेड़ दिया। उसका कहना था कि जिस गाँव में मैं जा रहा हूँ, वहाँ तो डायनों का आना बहुत आम है। उसने मुझे एक नहीं ना जाने कितने ही किस्से सुना दिए उस गांव और डायन से जुड़े हुए।
अब आप तो जानते ही हैं कि दिल्ली जैसे महानगर में रहने वाले युवा कहाँ इन आत्माओं और डायनों की बात पर यकीन करते हैं। मेरे जैसे अधिकांश लोगों के लिए यह सब मनोरंजन का एक जरिया हो सकता है इससे ज्यादा कुछ नहीं लेकिन शायद वह आखिरी बार था जब मैंने इन सब काली शक्तियों को बस एक मजाक के रूप में लिया था क्योंकि उसके बाद तो जैसे मैं इन पर ना सिर्फ विश्वास करने लगा बल्कि हर समय इनकी उपस्थिति का अहसास भी करने लगा।
ड्राइवर का कहना था कि सुबह आठ बजे तक हम अपनी मंजिल पर पहुँच जाएँगे। रात 10 बजे के आसपास हमने एक ढाबे पर खाना खाया और फिर सफर की थकान की वजह से आँख लग गई।
अचानक हमारी गाड़ी खराब हो गई और वो भी ऐसी जगह जहाँ से कुछ भी मदद मिलना लगभग नामुमकिन था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। सुबह होने का इंतजार भी नहीं कर सकते थे और आसपास कोई ठीक जगह भी नहीं थी। ड्राइवर का कहना था कि 2-3 किलोमीटर पर एक ढाबा है आप वहाँ पहुँच जाओ, मैं गाड़ी ठीक करवाकर आ जाऊँगा। मैंने उसकी बात मान ली और पैदल चलने लगा। बहुत चलना था इसीलिए कानों में इयरफोन लगा लिया और सोचा इससे समय अच्छा बीत जाएगा।
कुछ दूर चलते ही मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे साथ कोई चल रहा है। बड़ी तेज महक सी आई और बहुत देर तक अपने साथ किसी और के होने का अहसास हुआ। पहले लगा कि जैसे यह मेरा वहम है लेकिन धीरे-धीरे वो वहम हकीकत या यूँ कहें भयानक हकीकत की शक्ल लेने लगा।
पहले मुझे केवल अहसास हो रहा था कि कोई मेरे साथ-साथ चल रहा है लेकिन धीरे-धीरे किसी की शारीरिक आकृति मुझसे कुछ कदम दूरी पर दिखाई देने लगी।
वह एक सुंदर लड़की थी, उसने मुझसे पूछा कि इतनी रात को अकेले मैं कहाँ जा रहा हूँ?
तो मैंने उसे अपनी कहानी बता दी कि कैसे गाड़ी खराब हुई और मैं पैदल चलने के लिए मजबूर हुआ।
मैंने भी उससे यही सवाल किया कि वह इतनी रात को यहाँ क्या कर रही है। उसने मुझे बोला कि वह अकसर इस रास्ते पर आती-जाती है।
इससे पहले मैं उससे कुछ और पूछता, उसने मुझे बोला कि आपके दोस्त की शादी तो कल है ना आप कैसे पहुँच पाओगे?
उसका यह सवाल सुनकर मैं हैरान रह गया कि उसे कैसे पता !!
मैंने पूछा- आपको मेरे दोस्त की शादी के बारे में कैसे पता?
तो उसने मुझे बताया कि ऐसे ही।
मैं चुप हो गया।
उसने अपना नाम कविता बताया था। फिर वह कोई अजीब सा गाना गुनगुनाने लगी और मैं चुपचाप उसके साथ चलता रहा।
आगे बढ़ा तो सामने एक बड़ा और घना पेड़ दिखाई दिया। मैं उसकी तस्वीर उतारने लगा तो उस लड़की ने मुझे ऐसा ना करने को बोला।
मैंने पूछा- क्यों?
तो उसने बोला- रात के समय तस्वीर नहीं उतारते।
मैंने अपना कैमरा अंदर रख लिया।
मेरी नजर अचानक मेरी नजर पेड़ से थोड़ी दूर पर खड़ी तीन औरतों पर गई। तीनों औरतें धीरे-धीरे मेरे पास आने लगी। जैसे-जैसे वो पास आती गईं उनका चेहरा नजर आने लगा जो बहुत डरावना था। वे मुझे अपने पास बुलाने लगीं लेकिन कविता ने उनका इशारा देख लिया और मुझे तेज-तेज चलने के लिए बोला।
मैं चलने क्या भागने लगा। थोड़ी दूर आते ही वे तीनों औरतें गायब हो गईं।
मैंने कविता ने पूछा- वो कौन थीं?
उसने बताया कि वे इस गाँव में पिछले कई सौ सालों से घूम रही हैं, गांव के लोग उन्हें बुरी आत्माएँ कहते हैं। आपको उनसे बचाने के लिए ही मैं आपके साथ-साथ आई हूँ।
मैंने पूछा- तुम कैसे बचा सकती हो?
उसने फिर कोई जवाब नहीं दिया।
हम बहुत दूर निकल आए थे, कविता ने कहा कि ढाबा आने वाला है और रास्ता भी सुरक्षित है, अब मुझे चलना चाहिए।
मैंने पूछा- तुम आगे तक नहीं जाओगी?
उसने कहा- मेरी मंजिल तो यही है।
जाते-जाते उसने मुझे बस एक बात बोली- हर आत्मा बुरी नहीं होती साहब !!
उसकी बात का मतलब समझते मुझे बिल्कुल देर नहीं लगी और मैं समझ गया कि वह एक भली आत्मा थी जो मुझे बुरी शक्तियों से बचाने के लिए मेरे साथ-साथ आई थी !
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