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February 25, 2014

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 8

डिटेक्टीव सॅम गोल्फ खेल रहा था. रोजमर्राके तनाव से मुक्तीके लिए यह एक अच्छा खासा उपाय उसने ढूंडा था. उसने एक जोरका शॉट मारनेके बाद बॉल आकाशसे होकर होल की तरफ लपक गया. बॉलने दो तिन बार गिरकर उछला और आखीर होलसे लगभग छे फिटकी दुरीपर लूढकते हूए रुका. सॅम बॉलके पास गया. जमीनके चढाई और ढलानका उसने अंदाजा लिया. बॉलके उपरसे टी घुमाकर उसे कितने जोरसे मारना पडेगा ईसका अनुमान लगाया. और बडी सावधानीसे, सही दिशामें, सही जोर लगाकर उसने हलकेही एक शॉट लगाया और बॉल लूढकते हूए बराबर होलमें जाकर समा गया. डिटेक्टीवके चेहरेपर एक जित की खुशी झलकने लगी. इतनेमें अचानक सॅमका मोबाईल बजा. डिटेक्टीव्हने डिस्प्ले देखा. लेकिन फोन नंबर तो पहचानका नही लग रहा था. उसने एक बटन दबाकर फोन अटेंड किया, ''यस''

'' डिटेक्टीव बेकर हियर'' उधरसे आवाज आया.

'' हा बोलो'' सॅम दुसरे गेमकी तैयारी करते हुए बोला.

'' मेरे जानकारीके हिसाबसे आप हालहीमें चल रहे सिरियल केसके इंचार्च हो ... बराबर?'' उधरसे बेकरने पुछा. .

'' जी हां '' सॅमने सिरीयल किलरका जिक्र होतेही अगला गेम खेलने का विचार त्याग दिया और वह आगे क्या बोलता है यह ध्यानसे सुनने लगा.

'' अगर आपको कोई ऐतराज ना हो ... मतलब अगर आज आप फ्री हो तो... क्या आप इधर मेरे पुलिस स्टेशनमें आ सकते हो?... मेरे पास इस केसके बारेमें कुछ महत्वपुर्ण जानकारी है... शायद आपके काम आयेगी..''

'' ठिक है ... कोई बात नही .. '' कहते हूए बगल से गुजर रहे लडकेको सामान उठानेका इशारा करते हूए सॅमने कहा.

सॅमने बेकरसे फोनपर मिलनेका वक्त वगैरे सब तय किया और वह सामान उठाकर ले जा रहे लडकेके साथ वापस हो लिया.


क्रमश:...

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