एक गांव में एक ताऊ रहता था उसकी पत्नी ताई बहुत खुर्राट थी उसने नियम बना रखा था कि सुबह उठते ही घर के बाहर एक नियत जगह पर ताऊ को खड़ाकर रोज उसके बीस जूते जरुर मारने है | इस नियम का ताई कठोरता से पालन करती थी | ताऊ शादी के कई महीनों तक तो इस उम्मीद के साथ जूते खाता रहा कि कभी तो ताई को तरस आएगा और जूते मरने का नियम छोड़ देगी पर ताई कहाँ मानने वाली थी | आखिर एक दिन ताऊ काम के बहाने घर से निकला और गांव छोड़कर भाग गया |
अपने गांव से दूर दुसरे गांव में जाकर ताऊ ने एक बणिये के यहाँ नौकरी कर ली | ताऊ के भागने के बाद भी ताई अपना नियम निभाने उस जगह बीस जूते रोज जमीन पर मारती जहाँ वह ताऊ को खड़ा किया करती थी | ताई द्वारा एक जगह रोज जूते मारने के चलते उस जगह एक गडडा हो गया और उसी गडडे के नीचे एक भूत रहता था जैसे जैसे गडडा गहरा होता गया ताई के जूते भूत के सिर में लगने लगे | बेचारा भूत रोज जूते खाकर बड़ा दुखी हुआ सोचता - " ताऊ ने भाग कर अपना पीछा छुड़ा लिया पर मैं कैसे भागूं ? काश मैं मन्त्रों से से बंधा नहीं होता तो अब तक ताऊ की तरह यहाँ से भाग लेता | काश ये तांत्रिक द्वारा गाड़ी हंडिया फूट जाये जिसमे मुझे बांधने के मन्त्र है और मैं यहाँ से भाग इस ताई से पीछा छुड़ाऊं |
कुछ वर्षों बाद ताई द्वारा लगातार उस जगह जूते मारने के चलते गडडा गहरा होता गया और हंडिया थोड़ी बाहर निकल गयी उसके ऊपर जूते पड़ते ही टूट गयी |
हंडिया टूटते ही भूत आजाद हो गया और उसने भी आव देखा न ताव उसी दिशा में दौड़ लगा दी जिधर ताऊ गया था | दौड़ते दौड़ते भूत भी उसी गांव में पहुँच गया जहाँ ताऊ बणिये के यहाँ मजदूरी किया करता था | भूत की नजर जब ताऊ पड़ी तो वह ताऊ के पास गया और ताऊ से कहने लगा - "तूं तो सात आठ महीने जूते खाकर भाग आया और यहाँ मौज कर रहा है पीछे से तेरी औरत ने जूते मार मारकर मेरी टाट का एक बाल भी नहीं छोड़ा बहुत मुश्किल से बचकर भागकर आया हूँ |"
ताऊ कहने लगा - " भूत भाई ताई के जूतों से बचा हुआ हूँ पर यार यहाँ भी कड़ी मेहनत करने के बाद भी सूखी रोटियां ही खाने को मिलती है बणिया बहुत शोषण करता है |"
भूत- " ताऊ तेरे लिए मैं इतना कर सकता हूँ कि मैं बणिये के बेटे के शरीर में घुस जवुंगा और किसी भी तांत्रिक आदि से नहीं निकलूंगा जब बणिया पूरा दुखी हो जाये तो तूं बणिये से जाकर बहुत सारे धन के बदले मुझे निकलने का सौदा कर लेना मैं तेरे कहने पर ही निकलूंगा | इस तरह तूं धन कमाकर आराम से रहना | पर एक बात ध्यान रखना बणिये के बेटे शरीर से निकलने के बाद मैं जिसके शरीर में घुसूं तूं वहां मत आना,आ गया तो तेरी गर्फान तौड़ डालूँगा |"
और भूत बणिये के बेटे के शरीर में घुस गया | बणिये ने कई जादू टोने वाले,कई तांत्रिक ,कई बाबाओं को ओझाओं को बुलाया पर उस भूत को उसके बेटे के शरीर से कोई नहीं निकाल सका | तब ताऊ ने बणिये को कहा कि इस भूत को निकालना तो उसके बाएं हाथ का खेल है बस थोडा धन देना पड़ेगा,बणिया तो अपने बेटे को बचाने कितना भी देना खर्चने हेतु तैयार था बोला - " ताऊ धन मुंह माँगा ले पर जल्द से जल्द इस भूत को मेरे बेटे के शरीर से निकाल |"
ताऊ बणिये के बेटे के पास गया और भूत को डांटते हुए बोला-" चल निकल बाहर नहीं तो तेरा सिर फोड़ दूंगा |"
इतना कहते ही भूत निकल गया | बणिया का बेटा ठीक हो गया | बणिये ने ताऊ को बहुत सारा धन दे दिया | उधर ताऊ के इस कारनामे की आस-पास के गांवों में चर्चा होने लगी कि " ताऊ कैसा गुणी व्यक्ति है जो काम इतने बड़े बड़े तांत्रिक,ओझे व बाबाजी नहीं कर सके वो ताऊ ने इतनी सरलता से कर दिया | चारों और ताऊ के इस कारनामे की चर्चा होने लगी |
उधर भूत बणिये के बेटे के शरीर से निकल राजा के कुंवर के शरीर में घुस गया | राजा ने भी कई तांत्रिक,ओझे,बाबाओं को बुलाया पर कोई उस भूत को नहीं निकाल सका | किसी ने राजा तक ताऊ की बात पहुंचा दी कि -"ये काम तो ताऊ आसानी से कर सकता है |"
राजा ने अपने आदमियों को ताऊ के पास भेजा | अब ताऊ फंस गया एक तरफ भूत की चेतावनी कि गर्दन तौड़ दूंगा और दूसरी तरफ राजा का खौफ | ताऊ ने राजा के लोगों को समझाया कि वह इस बारे में कुछ नहीं जानता, वो बणिया का बेटा तो ऐसे ही तुक्के में ठीक हो गया |
राजा के आदमी बोले - " तो कोई बात नहीं कुंवर के पास भी जाकर तुक्का मार दे |"
और राजा के आदमी ताऊ को पकड़ राजमहल ले गए | अब बेचारा ताऊ बुरा फंस गया भूत के पास जाये तो गर्दन तौड़ दे और ना जाये तो राजा गर्दन काट दे |
ताऊ ने अपना दिमाग लगाया और बोला - " ठीक है पर मेरे कुंवर के पास जाने से पहले महल खाली कर दें कुंवर के अलावा महल में कोई नहीं रहे |"
जब सब लोग महल से निकल गए तो ताऊ ने महल में जाकर अपनी धोती के पायचे टांगे अपनी कमीज व बनियान फाड़कर चीथड़े चीथड़े कर लिए और अपनी जूतियाँ हाथ में ले कुंवर की तरफ बेतहासा भागते हुए कहने लगा - " अरे भूत ! भाग ,ताई आ गयी है |"
और कहते कहते ताऊ जोर से बाहर भागने लगा | ताऊ के पीछे भूत भी कुंवर के शरीर को छोड़कर ताई के डर से भागने लगा | भूत के शरीर से निकलते ही कुंवर ठीक हो गया और लोग फिर से ताऊ की जय जयकार करने लगे |
अपने गांव से दूर दुसरे गांव में जाकर ताऊ ने एक बणिये के यहाँ नौकरी कर ली | ताऊ के भागने के बाद भी ताई अपना नियम निभाने उस जगह बीस जूते रोज जमीन पर मारती जहाँ वह ताऊ को खड़ा किया करती थी | ताई द्वारा एक जगह रोज जूते मारने के चलते उस जगह एक गडडा हो गया और उसी गडडे के नीचे एक भूत रहता था जैसे जैसे गडडा गहरा होता गया ताई के जूते भूत के सिर में लगने लगे | बेचारा भूत रोज जूते खाकर बड़ा दुखी हुआ सोचता - " ताऊ ने भाग कर अपना पीछा छुड़ा लिया पर मैं कैसे भागूं ? काश मैं मन्त्रों से से बंधा नहीं होता तो अब तक ताऊ की तरह यहाँ से भाग लेता | काश ये तांत्रिक द्वारा गाड़ी हंडिया फूट जाये जिसमे मुझे बांधने के मन्त्र है और मैं यहाँ से भाग इस ताई से पीछा छुड़ाऊं |
कुछ वर्षों बाद ताई द्वारा लगातार उस जगह जूते मारने के चलते गडडा गहरा होता गया और हंडिया थोड़ी बाहर निकल गयी उसके ऊपर जूते पड़ते ही टूट गयी |
हंडिया टूटते ही भूत आजाद हो गया और उसने भी आव देखा न ताव उसी दिशा में दौड़ लगा दी जिधर ताऊ गया था | दौड़ते दौड़ते भूत भी उसी गांव में पहुँच गया जहाँ ताऊ बणिये के यहाँ मजदूरी किया करता था | भूत की नजर जब ताऊ पड़ी तो वह ताऊ के पास गया और ताऊ से कहने लगा - "तूं तो सात आठ महीने जूते खाकर भाग आया और यहाँ मौज कर रहा है पीछे से तेरी औरत ने जूते मार मारकर मेरी टाट का एक बाल भी नहीं छोड़ा बहुत मुश्किल से बचकर भागकर आया हूँ |"
ताऊ कहने लगा - " भूत भाई ताई के जूतों से बचा हुआ हूँ पर यार यहाँ भी कड़ी मेहनत करने के बाद भी सूखी रोटियां ही खाने को मिलती है बणिया बहुत शोषण करता है |"
भूत- " ताऊ तेरे लिए मैं इतना कर सकता हूँ कि मैं बणिये के बेटे के शरीर में घुस जवुंगा और किसी भी तांत्रिक आदि से नहीं निकलूंगा जब बणिया पूरा दुखी हो जाये तो तूं बणिये से जाकर बहुत सारे धन के बदले मुझे निकलने का सौदा कर लेना मैं तेरे कहने पर ही निकलूंगा | इस तरह तूं धन कमाकर आराम से रहना | पर एक बात ध्यान रखना बणिये के बेटे शरीर से निकलने के बाद मैं जिसके शरीर में घुसूं तूं वहां मत आना,आ गया तो तेरी गर्फान तौड़ डालूँगा |"
और भूत बणिये के बेटे के शरीर में घुस गया | बणिये ने कई जादू टोने वाले,कई तांत्रिक ,कई बाबाओं को ओझाओं को बुलाया पर उस भूत को उसके बेटे के शरीर से कोई नहीं निकाल सका | तब ताऊ ने बणिये को कहा कि इस भूत को निकालना तो उसके बाएं हाथ का खेल है बस थोडा धन देना पड़ेगा,बणिया तो अपने बेटे को बचाने कितना भी देना खर्चने हेतु तैयार था बोला - " ताऊ धन मुंह माँगा ले पर जल्द से जल्द इस भूत को मेरे बेटे के शरीर से निकाल |"
ताऊ बणिये के बेटे के पास गया और भूत को डांटते हुए बोला-" चल निकल बाहर नहीं तो तेरा सिर फोड़ दूंगा |"
इतना कहते ही भूत निकल गया | बणिया का बेटा ठीक हो गया | बणिये ने ताऊ को बहुत सारा धन दे दिया | उधर ताऊ के इस कारनामे की आस-पास के गांवों में चर्चा होने लगी कि " ताऊ कैसा गुणी व्यक्ति है जो काम इतने बड़े बड़े तांत्रिक,ओझे व बाबाजी नहीं कर सके वो ताऊ ने इतनी सरलता से कर दिया | चारों और ताऊ के इस कारनामे की चर्चा होने लगी |
उधर भूत बणिये के बेटे के शरीर से निकल राजा के कुंवर के शरीर में घुस गया | राजा ने भी कई तांत्रिक,ओझे,बाबाओं को बुलाया पर कोई उस भूत को नहीं निकाल सका | किसी ने राजा तक ताऊ की बात पहुंचा दी कि -"ये काम तो ताऊ आसानी से कर सकता है |"
राजा ने अपने आदमियों को ताऊ के पास भेजा | अब ताऊ फंस गया एक तरफ भूत की चेतावनी कि गर्दन तौड़ दूंगा और दूसरी तरफ राजा का खौफ | ताऊ ने राजा के लोगों को समझाया कि वह इस बारे में कुछ नहीं जानता, वो बणिया का बेटा तो ऐसे ही तुक्के में ठीक हो गया |
राजा के आदमी बोले - " तो कोई बात नहीं कुंवर के पास भी जाकर तुक्का मार दे |"
और राजा के आदमी ताऊ को पकड़ राजमहल ले गए | अब बेचारा ताऊ बुरा फंस गया भूत के पास जाये तो गर्दन तौड़ दे और ना जाये तो राजा गर्दन काट दे |
ताऊ ने अपना दिमाग लगाया और बोला - " ठीक है पर मेरे कुंवर के पास जाने से पहले महल खाली कर दें कुंवर के अलावा महल में कोई नहीं रहे |"
जब सब लोग महल से निकल गए तो ताऊ ने महल में जाकर अपनी धोती के पायचे टांगे अपनी कमीज व बनियान फाड़कर चीथड़े चीथड़े कर लिए और अपनी जूतियाँ हाथ में ले कुंवर की तरफ बेतहासा भागते हुए कहने लगा - " अरे भूत ! भाग ,ताई आ गयी है |"
और कहते कहते ताऊ जोर से बाहर भागने लगा | ताऊ के पीछे भूत भी कुंवर के शरीर को छोड़कर ताई के डर से भागने लगा | भूत के शरीर से निकलते ही कुंवर ठीक हो गया और लोग फिर से ताऊ की जय जयकार करने लगे |
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