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February 23, 2014

जंगल में भुत (लेखक : बसंत भट्ट)

दोस्तों आज में आपको जो कहानी सुनाने जा रा रहा हूँ वह शिकार के बारे में है !

वैसे तो शिकार करना गैर क़ानूनी है ! फिर  भी  लोग करते शिकार रहते है ! कोई शौक के लिए करता है ! कोई अपनी खानदानी परम्परा को निभाने के लिए करता है ! और कोई मनोरंजन के लिए करता है ! ऐसे ही शिकार के बारे में आपको बताता हूँ ! एक पहाड़ी गाव था जो चारो और से पहाड़ों से घिरा हूआ था ! उस गाव में शंकर नाम का एक किसान था !

जो शिकार का बड़ा शौकीन था ! उसने बहुत जानवरों का शिकार किया था ! उसने मुझे एक बार किस्सा बताया एक दिन वह और उसका पड़ोसी रतन शिकार के लिए जंगल गए उस दिन उन्हें कोई भी जानवर नहीं मिला वे लोग जानवर की तलाश में काफी दूर निकल आये दिन छिप गया तो वह घर की और चल दिए ! अधेरा होने के करण वह रास्ता भटक गए ! उनके पास टार्च भी नहीं थी ! उनकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था !

तभी उन्होंने देखा जंगल में कुछ दुरी पर बतिया जल बुझ रही है ! और वातावरण में कोई आवाज गूंज रही है ! उन्होंने पहले तो सोचा गाव वाले उनकों ढूढ़ते हूए आ गए ! मगर जब बतिया कभी दूर अभी पास जलने लगी तो शंकर को यह समझते हुए देर न लगी की यह भुत है ! रतन का तो हाल बहुत बुरा था ! वह डर के मारे काप रहा था ! शंकर ने रतन को समझाया की वह डरे नहीं मगर रतन डर के मारे रोने लगा ! शंकर ने रतन का डर दूर करने के लिए २-३ हवाई फायर भी किए जिससे बतिया जलना कुछ कम हुआ !

रतन बार - बार भगवान से प्राथना किये जा राहा था ! हे भगवान आज बचा ले आज के बाद कभी  शिकार करने  नहीं आउगा कभी उसने तो डर के मारे पैन्ट में पेशाब कर दी ! इधर शंकर भी डर रहा था ! मगर वह रतन को बता कर और अधिक डराना नहीं चाहता था !  तभी शंकर देखा कुछ दुरी पर से दो आँखे उसे घुर रही है ! अब तो उसकी भी डर के मारे आवाज बैठ गयी !रतन ने जैसे उस और देखा वह तो वेहोश हो गया !

शंकर जोर -जोर से हनुमान चालीसा पड़ने लगा ! शंकर ने डरते हुए अपनी बंदूक उस तान कर फायर कर दिया ! उसने यह भी नहीं देखा कि निशाना लगा की नहीं पर उसे भागने की आवाज सुनाई दी ! शंकर अब भी घबरा रहा था ! और इधर रतन अभी भी बेहोश था ! तभी बड़ी जोर से वरिश होने लगी !और रतन भी होश में आ गया वह अब भी डरा हुआ था !

वरिश के साथ विजली भी चमक रही थी ! शंकर और रतन ने वह से चलने का फैसला किया !वह विजली की चमक पर रास्ता देख कर सावधानी से आगे बड़ने लगे अभी वह मुश्किल से एक किलोमीटर ही बड पाए की वरिश बंद हो गयी ! शंकर समझ नहीं पा रहा था ! एसा क्यु हो रहा तभी सुबह होने लगी वह बड़ी मुश्किल से घर पहुचे ! बुखार के कारण दोनों का हाल बुरा था ! गाव के ओझा ने दोनों का उपचार किया ! शंकर आज भी उस दिन याद कर डर जाता है !

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