इस वेबसाइट के भूत प्रेत पर आधारित सामग्री को केवल मनोरंजन के रूप में लें, यहाँ पर प्रकाशित अधिकतर कहानियाँ श्रुति पर आधारित है, हमारा उद्देश्य सिर्फ पाठकों को मनोरंजन प्रदान करना है न कि आधुनिक समाज में भूत-प्रेत के अस्तित्व को बढ़ावा देना।

May 17, 2014

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 45

वेअरहाऊमे निचे मॉनिटरके सामने अचेतन अवस्थामें पडे सॅमके सामनेसे मानो एक एक प्रसंग फ्लॅशबॅककी तरह जाने लगा ....


.... नॅन्सी और जॉन रास्तेके किनारे पडे एक ड्रेनेज पाईपमें छिपे हुए थे. इतनेमे अचानक उन्हे उनकीतरफ आता हूवा किसीके दौडनेका आवाज सुनाई दिया. वे अब हिल डूल भी नही सकते थे. उन्होने अगर उन्हे ढूंढ लिया तो वे बुरी तरह उनके कब्जेमें फंसने वाले थे. उन्होने बिल्लीकी तरह अपनी आंखे मुंद ली और जितना हो सकता है उतना उस छोटीसी जगहमें सिकुडनेका प्रयास किया. उसके अलावा वे कर भी क्या सकते थे. ?

अचानक उनको अहसास हूवा की उनका पिछा करने वालोंमेसे एक दौडते हूए उनके पाईपके एकदम पास आकर पहूंचा है. वह नजदिक आतेही जॉन और नॅन्सी एकदम शांत होकर लगभग सांस रोके हूए स्तब्ध होकर वैसेही बैठे रहे. वह अब पाईपके काफी पास पहूंच गया था.

वह उन चारोंमेसेही एक, स्टीव्हन था. उसने इर्दगिर्द अपनी नजरें दौडाई.

'' कहां गायब होगए साले?'' वह खुदपरही झल्ला उठा.

इतनेमें स्टीव्हनका ध्यान पाईपकी तरफ गया.

जरुर साले इस पाईपमें छूपे होंगे....

उसने सोचा. वह पाईपके और पास गया. वह अब झुककर पाईपमें देखनेही वाला था की इतनेमें ...

'' स्टीव... जल्दी इधर आवो '' उधरसे क्रिस्तोफरने उसे आवाज दिया.

स्टीव्हन पाईपमें देखनेके लिए झुकते हूए रुक गया, उसने आवाज आया उस दिशामें देखा और पलटकर वह दौडते हूए उस दिशामें निकल गया.

जा रहे कदमोंका आवाज सुनतेही नॅन्सी और जॉनने राहतकी सांस ली.

स्टीव्हन जातेही जॉनने अपने जेबसे मोबाईल निकाला. उसने कोई उन्हे ट्रेस ना करे इसलिए फोन स्वीच ऑफ करके रखा था. उसने वह स्वीच ऑन किया और एक नंबर डायल किया.

'' किसको फोन कर रहे हो ?'' नॅन्सीने दबे स्वरमें पुछा.

'' अपना क्लासमेट ऍंन्थोनी... वह इसी गावका है ''

उतनेमें फोन लग गया, '' हॅलो''

'' अरे क्या जॉन कहांसे बोल रहे हो... सालो तुम लोग कहां गायब हो गए हो ... इधर सारे लोग कितने परेशान हो गए है ...'' उधरसे ऍंथोनीने कहा.

जॉनने उसे संक्षीप्तमें सब बताया और कहा, '' अरे हम यहां एक जगह फंसे हूए है ...''

'' फंसे ? कहां .?'' ऍंन्थोनीने पुछा.

'' अरे कुछ बदमाश हमारा पिछा कर रहे है ... हम लोग अब कहां है यह बताना जरा मुश्कील है....'' जॉन बोल रहा था. इतनेमें नॅन्सीने उसका ध्यान अपनी तरफ खिंचते हूए टॉवरकी तरफ इशारा किया.

'' ... हां यहांसे एक टॉवर दिख रहा है जिसपर घडी लगी हूई है ... उसके आसपासही कहीं हम छिपे हूए है...'' जॉनने उसे जानकारी दी.

'' अच्छा... अच्छा... चिंता मत करो, पहले अपना दिमाग शांत करो और अपने आपको संवारो... और इतने बडे शहरमें वे बदमाश तुम्हारा कुछ बिगाड सकते है यह डर दिलसे पुरी तरह निकाल दो... हां निकाल दिया? "' उधरसे ऍंन्थोनीने पुछा.

'' हां ठिक है...'' जॉनने कहा.

'' हं गुड... अब कोई टॅक्सी पकडो और उसे हिल्टन हॉटेलको ले जानेके लिए कहो... वह वही कही नजदिक उसी एरियामें है ...''

इतनेमें उन्हे इतनी देरसे कोई वाहन नही दिखा था, दैवयोगसे एक टॅक्सी उनकी तरफ आती हूई दिखाई दी.

'' टॅक्सी आयी है ... अच्छा तुम्हे मै बादमें फोन करता हूं ... '' जॉनने जल्दीसे फोन कट कर दिया.

वे दोनोभी जल्दी जल्दी पाईपके बाहर आगए और जॉनने टॅक्सीको रुकनेका इशारा किया. जैसेही टॅक्सी रुक गई वैसे दोनो टॅक्सीमें घुस गए.

'' हॉटेल हिल्टन'' जॉनने कहां और टॅक्सी फिरसे दौडने लगी.

टॅक्सी निकल गई तो दोनोंके जान में जान आ गई. उन्होने राहतकी सांस ली.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 44

संभ्रमकी स्थितीमें डिटेक्टिव सॅमने धीरे धीरे वेअरहाऊसमें प्रवेश किया. अंदर जानेके बाद वह इधर उधर देखते हूए उस बिल्लीको ढूंढने लगा. पहलेही अंधेरा और उपरसे वह बिल्ली काले रंग की. ढूंढना मुश्कील था. उसने वेअरहाऊसमें सब तरफ अपनी ढूंढती हूई नजर दौडाई. अब सुबह होनेको आई थी. इसलिए वेअरहाऊसमें थोडा थोडा उजाला हो गया था. एक जगह उसे धूलसे सनी हूई एक फाईल्स की गठरी दिखाई दी. वह उस फाइल्सके गठरीके पास गया. वह गठरी थोडी उंचाई पर रखी हूई थी. सॅमकी उत्सुकता बढ गई थी.

क्या होगा उस फाईल्समें..

जरुर केसके बारेमें और कुछ महत्वपुर्ण मुझे उस फाईल्समें मिल सकता है ...

वह अपने पैरके पंजे उंचे कर उस फाईल्सके गठरीतक पहूंचनेका प्रयास करने लगा. फिरभी वह वहांतक पहूंच नही पा रहा था. इसलिए वह उछलकर उस गठरीतक पहूंचनेका प्रयास करने लगा. उस गठरीतक पहूंचनेके प्रयासमें उसका धक्का लगकर उपरसे कुछतो निचे गिर गया. कांच फुटने जैसी आवाज हूई. उसने निचे झुककर देखा तो कांचके टूकडे सब तरफ फैले हूए थे. और निचे एक फोटोकी फ्रेम उलटी पडी हूई थी. उसने वह उठाई और सिधी करके देखी. वह एक ग्रुप फोटो था लेकिन वहां रोशनी काफी नही होनेसे ठिकसे दिखाई नही दे रहा था. वह फोटो लेकर वह कॉम्प्यूटरके पास गया. काम्प्यूटरका मानिटर अबभी शुरु था और चमक रहा था. इसलिए उस रोशनीमें वह फोटो ठिकसे देखना मुमकिन था. मॉनिटरके रोशनीमें उसने वह ग्रुप फोटो देखा और वह आश्चर्यसे हक्का बक्कासा रह गया. वह खुले मुंहसे आश्चर्यसे उस फोटोकी तरफ देख रहा था.

वह उस हादसेसे संभलता नही की उसके सामने कॉम्प्यूटरका मॉनिटर बंद शुरु होने लगा.

कुछ इलेक्ट्रीक प्रॉब्लेम होगा ...

इसलिए वह कॉम्प्यूटरका पॉवर स्वीच और प्लग चेक करने लगा.

उसने पॉवर प्लगककी तरफ देखा और चौंकते हूए डरे हूए स्थितीमे वह पिछे हट गया. उसे आश्चर्यका दुसरा धक्का लगा था.

कॉम्प्यूटरका पॉवर केबल पॉवर बोर्डको लगा नही था और वही बगलमें निकालकर रखा हूवा था. .

फिरभी कॉम्प्यूटर शुरु कैसा ? ...

कुछ तो ट्रीक होगी ...

या यह पॉवर केबल दुसरा किसी चिजका होगा....

उसने वह पावर केबल उठाकर एक सिरेसे दुसरे सिरेतक टटोलकर देखा. वह कॉम्प्यूटरकाही पॉवर केबल था.

अब उसके हाथ पैर कांपने लगे.

वह जो देख रहा था वैसा उसने उसके पुरे जिंदगीमें कभी नही देखा था.

अचानक कॉम्प्यूटरका मॉनिटर बंद शुरु होनेका रुक गया. उसने मॉनिटरकी तरफ देखा. उसके चेहरेपर अबभी डर और आश्चर्य झलक रहा था.

अचानक एक बडा भयानक हवाका झोंका वेअरहाऊसमें बहने लगा. इतना बडा झोंका बह रहा था और इधर सॅम पसिनेसे लथपथ हो गया था.

और अब अचानक मॉनिटरपर तरह तरह के विचित्र और भयानक साये दिखने लगे.

डिटेक्टीवको कुछ समझ नही आ रहा था की क्या हो रहा है. जोभी कुछ हो रहा था वह उसके समझ और पहूंच के बाहर था. आखिर एक खुबसुरत जवान स्त्री का साया मॉनिटरपर दिखने लगा. वह साया भलेही सुंदर और मोहक था फिरभी सॅमके बदनमें एक डरकी सिरहन दौड गई. वह मोहक साया अब एक भयानक और डरावने सायेमे परिवर्तीत हुवा. फिरसे एक हवा का बडा झोंका तेजीसे अंदर आया. इसबार उस झोंकेका जोर और बहाव बहुत तेज था. इतना की सॅम उस झोंकेकी मार सहन नही कर पाया और निचे गिर गया. वैसेभी उसके हाथ पैर पहलेही कमजोर पड चूके थे. उस झोंकेके मारका प्रतिकार करनेकी शक्ती उसमें बाकी नही थी. निचे पडे हूए स्थितीमें उसे अहसास हूवा की धीरे धीरे वह होश खोने लगा है. लेकिन होश पुरी तरह खोनेसे पहले उसने मॉनिटरवरपर दिख रहे उस स्त्रीकी आंखोमें दो बडे बडे आंसू बहकर निचे आते हूए देखे.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 43

हथकडीयां पहना हूवा और पुलिससे घेरा हूवा ऍंथोनी वेअर हाऊससे बाहर निकला. उसके साथ सब हथीयारसे लेस पुलिस थी क्योंकी वह कोई सादासुदा कातिल ना होकर चार चार कत्ल किया हूवा सिरियल किलर था. पुलिसने ऍन्थोनीको उनके एक गाडीमें बिठाया. डिटेक्टीव्ह सॅम वेअरहाऊसके दरवाजेके पास पिछेही रुक गया. सॅमने अबतक न जाने कितनी कत्लकी केसेस हॅन्डल की थी लेकिन इस केससे वह विचलित हूवा दिख रहा था. कातिलको पकडनेका सबसे महत्वपुर्ण काम तो अब पुरा हो चूका था. इसलिए अब उनके साथ गाडीमें बैठकर जाना उसे उतना जरुरी नही लगा. वह कुछ वक्त अकेलेमें गुजारना चाहता था. और उसे पिछे रुककर एकबार इस वेअरहाऊसकी पुरी छानबिन करनी थी. उसने अपने साथीको इशारा किया,

'' तुम लोग इसे लेकर आगे निकल जावो ... मै थोडीही देरमें वहा पहूंचता हूं '' सॅमने कहा.

जिस गाडीमें ऍंन्थोनीको बिठाया था वह गाडी शुरु हो गई. उसके पिछे पुलिसकी बाकी गाडीयांभी शुरु हो गई, और ऍंन्थोनी जिस गाडीमें बैठा था उसके पिछे तेजीसे दौडने लगी. एक बडा धुलका बवंडर उठा. वे गाडीयां निकल गई फिरभी वह धुलका बवंडर अबभी हवामें फैला हूवा था. सॅम गंभीर मुद्रामें उस धुलके बादलको धीरे धीरे निचे बैठता हूवा देख रहा था.

जैसीही सब गाडीयां वहांसे निकल गई और और आसपासका वातावरण शांत हूवा सॅमने वेअरहाऊसके इर्द गिर्द एक चक्कर लगाया. चलते चलते उसने उपर आसमानकी तरफ देखा. आसमानमें लाली फैल गई थी और अब थोडीही देरमें सुरज उगनेवाला था. वह एक चक्कर लगाकर दरवाजेके पास आ गया और भारी चालसे वेअरहाऊसके अंदर चला गया.

अंदर वेअरहाऊसमें अबभी अंधेरा था. उसने कॉम्प्यूटरके चमक रहे मॉनिटरके रोशनीमें वेअरहाऊसकी अंदर एक चक्कर लगाया और फिर उस कॉम्प्यूटरके पास जाकर खडा हो गया. सॅमने देखाकी कॉम्प्यूटरपर एक सॉफ्टवेअर अबभी ओपन किया हूवा था. उसने सॉफ्टवेअरके अलग अलग ऑपशन्सपर माऊस क्लिक करके देखा. एक बटनपर क्लिक करतेही कॉम्प्यूटरके बगलमें रखे एक उपकरणका लाईट ब्लींक होने लगा. उसने वह उपकरण हाथमें लेकर उसे गौरसे देखा. वह एक सिग्नल रिसिव्हर था, जिसपर एक डिस्प्ले था. उस डिस्प्लेपर एक मेसेच चमकने लगा. लिखा था ' इन सिग्नल रेंज / इन्स्ट्रक्शन = लेफ्ट'. उसने वह उपकरण वापस अपनी जगह रख दिया. उसने और एक सॉफ्टवेअरका बटन दबाया, जिसपर 'राईट' ऐसा लिखा हूवा था.

फिरसे सिग्नल रिसीव्हर ब्लींक हुवा और उसपर मेसेज आया ' इन सिग्नल रेंज / इन्स्ट्रक्शन = राईट'. आगे उसने ' अटॅक' बटन दबाया. फिरसे सिग्नल रिसीव्हर ब्लींक हो गया और उसपर मेसेज आया था ' इन सिग्नल रेंज / इन्स्ट्रक्शन = अटॅक'. सॅमने वह उपकरण फिरसे हाथमें लिया और अब वह उसे गौरसे देखने लगा. इतनेमें उसे वेअरहाऊसके बाहर किसी चिजका आवाज आया. वह उपकरण वैसाही हाथमें लेकर वह बाहर चला गया.

वेअरहाऊसके बाहर आकर उसने आजुबाजु देखा.

यहां तो कोई नही ...

फिर किस चिजका आवाज है ...

होगा कुछ... जानेदो ...

जब वह फिरसे वेअरहाऊसमे वापस आनेके लिए मुडा तब उसका ध्यान अनायासही उसके हाथमें पकडे ब्लींक हो रहे उपकरण की तरफ गया. अचानक उसके चेहरेपर आश्चर्यके भाव उमटने लगे. उस सिग्नल रिसीव्हरपर ' आऊट ऑफ रेंज / इन्स्ट्रक्शन = निल' ऐसा मेसेज आया था. वह आश्चर्यसे उस उपकरणकी तरफ देखने लगा. उसका मुंह खुलाकी खुलाही रह गया. उसके दिमागमें अलग अलग सवालोंने भीड की थी.

अचानक आसपास किसीकी उपस्थीतीसे वह लगभग चौक गया. देखता है तो वह एक काली बिल्ली थी और वह उसके सामनेसे दौडते हूए वेअरहाऊसमें घुस गई थी. एक बार उसने अपने हाथमें पकडे उपकरण की तरफ देखा और फिर उस वेअर हाऊसके खुले दरवाजेकी तरफ देखा, जिससे अभी अभी एक काली बिल्ली अंदर गई थी.

धीर धीरे सावधानीसे उस बिल्लीका पिछा करते हूए वह अब अंदर वेअर हाऊसमें जाने लगा.

जाते जाते उसके दिमागमें एक विचार लगातार घुमने लगा की अगर वेअरहाऊसके बाहरतकभी सिग्नल जा नही सकता है तो फिर जो चार लोगोंके कत्ल हूए उनके घरतक सिग्नल कैसे पहूंचा ?'


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 42

शामका वक्त था. पार्कमें प्रेमी युगल बैठे मौसम का आनंद ले रहे थे. ठंड हवाके झोंकोकेसाथ बागमें फुल मस्त मस्तीमें डोल रहे थे. उस पार्कके एक कोनेमें निचे हरे हरे घासके गालीचेपर, एक बडे पेढके तनेका आधार लेकर नॅन्सी आरामसे बैठी थी. जॉन अपना सर नॅन्सीके गोदमे रखकर घासपर लेट गया था.

'' तुम्हे मालूम नही मै तुमसे कितना प्यार करती हूं '' नॅन्सी धीरे धीरे जॉनके बालोंमें अपना हाथ फेरते हूए बोली.

जॉनने एक प्रेमभरा दृष्टीक्षेप उसकी तरफ डाला.

कुछ देर दोनोंभी कुछ बोले नही. काफी समय ऐसीही शांतीमे गुजर गया. कुछ देर बाद अचानक जॉन उठ खडा हूवा और नॅन्सीको उठनेके लिए हाथ देते हूए बोला, '' चलो अब निकलते है... काफी समय हो गया है ''

उसका हाथ पकडकर वह खडी हो गई.

एक दुसरेका हाथ हाथमें लेकर हौले हौले चलते हूए वे वहांसे चले गए.

इतनी देरसे एक पेढके पिछे छूपा बैठा ऍन्थोनी नॅन्सी और जॉनके चले जानेके बाद बाहर निकल आया. उसका चेहरा गुस्सेसे लाल लाल होगया था...


... ऍन्थोनी वेअरहाउसमें खडा होकर उसकी सारी कहानी बयान कर रहा था. और उसके इर्दगीर्द खडे सॅम और उसकी टीम सब गौरसे सुन रहे थे. उसे हथकडीयां पहनाकर अबभी दो पुलिस उसके पास खडे थे. डिटेक्टीव सॅमभी उसकी हकिकत ध्यान देकर सुन रहा था.

'' मैने उसपर बहुत .. मतलब अपनी जानसे जादा प्रेम किया '' ऍंन्थोनीने आह भरते हूए कहा.

'' लेकिन मुझे जब पता चला की वह मुझे नही बल्की जॉनको चाहती है ... तब मै बहुत निराश, हताश हुवा, मुझे उसका गुस्साभी आया... लेकिन धीरे धीरे मैने अपने आपको समझाया की मै उसे चाहता हू इसका मतलब यह जरुरी नही की वहभी मुझे चाहे... वह किसीकोभी चाहनेके लिए आजाद होनी चाहिए.'' ऍन्थोनीने कहा.

'' लेकिन तुमने उन चार लोगोंको क्यों मारा ?'' सॅमने असली बात पर आते हूए पुछा.

'' क्योंकी दुसरा कोईभी नही कर सकता इतना प्रेम मैने उसपर किया था. "" ऍंन्थोनीने अभिमानके साथ कहा.

'' जॉननेभी उसपर प्रेम किया था....'' सॅमने उसे और छेडनेकी कोशीश करते हूए कहा.

'' वह कायर था... नॅन्सी उससे प्रेम करे ऐसी उसकी हैसीयत नही थी..'' ऍंन्थोनीने नफरतक के साथ कहा, '' तुम्हे पता है ?... जब उसका बलात्कार होकर कत्ल हूवा था तब जॉनने मुझे एक खत लिखा था '' ऍंन्थोनीने आगे कहा.

'' क्या लिखा था उसने ?'' सॅमने पुछा.

'' लिखा था की उसे नॅन्सीके बलात्कार और कत्लका बदला लेना है ... और उसने उन चार गुनाहगारोंको ढूंढा है .... लेकिन उसकी बदला लेनेकी हिम्मत नही बन पा रही है .. वैगेरा .. वैगेरा .. ऐसा उसने काफी कुछ लिखा था... मै एक दोस्तके तौरपर उसे अच्छी तरह जानता था... लेकिन वह इतना डरपोक होगा ऐसा मैने कभी नही सोचा था... फिर ऐसी स्थीतीमें आपही बताईए मैने क्या करता ... अगर वह बदला नही ले सकता तो उन चार हैवानोंका बदला लेनेकी जिम्मेदारी मेरी बनती थी... क्योंकी भलेही वह मुझे नही चाहती थी लेकिन मेरातो उसपर सच्चा प्रेम था. ...'' ऍंन्थोनी भावनाविवश होकर आवेशमें बोल रहा था. वह इतने जल्दी जल्दी और उत्तेजीत होकर बोल रहा था की उसका चेहरा लाल लाल हो गया था और उसके सासोंकी गती बढ गई थी. जब ऍंथोनी बोलते बोलते रुक गया. उसका पुरा शरीर पसीनेसे लथपथ हो गया था. उसे अपने हाथ पैर कमजोर हूए ऐसा महसुस होने लगा. वह एकदमसे निचे बैठ गया. उसने अपना चेहरा अपने घूटनोमें छूपा लिया और फुटफुटकर रोने लगा. इतनी देरसे रोकनेका प्रयास करनेके बावजुद वह अपने आपको रोक नही पाया था.

उसके इर्द गिर्द जमा हूए सारे लोग उसकी तरफ हमदर्दीसे देख रहे थे.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 41

सॅम और उसका साथीदार अबभी ऍन्थोनीको घेरकर खडे थे. ऍन्थोनीका प्रतिरोध अब पुरी तरह खत्म हो चूका था. सॅमके दो साथीयोंने उसे हथकडीयां लगाकर अपने कब्जेमें लिया था. सॅम उसे वहीं सवालपर सवाल पुछे जा रहा था. आखीर एक सवाल अबतक सबको परेशान कर रहा था. सॅमकोभी लग रहा था की बादकी तहकिकात जब होगी तब होगी. कमसे कम सबको परेशान कर रहे सवाल का जवाब यही मिलना चाहिए. की क्यो? क्यो ऍन्थोनीने उन चार लोगोंका कत्ल किया ?

ऍन्थोनीकेभी अब पुरी तरह खयालमें आया था की उसे अब सबकुछ बतानेके अलावा कुछ चारा नही था. वह सबकुछ किसी तोतेकी तरह बताने लगा...


.... वे पुराने जॉन, नॅन्सी और ऍन्थोनीके कॉलेजके दिन थे. क्लासमें प्रोफेसर पढा रहे थे और विद्यार्थीयोंमे जॉन, नॅन्सी और ऍंथोनी क्लासमें अलग अलग जगह पर बैठे हूए थे. ऍथोनीने सामने देखते हूए, प्रोफेसरका खयाल अपने तरफ नही है इसकी तसल्ली कर छूपकेसे एक कटाक्ष नॅन्सीकी तरफ डाला. लेकिन यह क्या? वह उसके तरफ ना देखते हूए छूपकर जॉनकी तरफ देख रही थी. वह आग बबुला होने लगा था.

मै इस क्लासका एक होनहार विद्यार्थी...

एकसे एक लडकियां मुझपर मरनेके लिए तैयार ...

लेकिन जिसपर अपना दिल आया वह मेरे तरफ देखनेके लिए भी तैयार नही है? ...

उसके अहमको ठेंस पहूच रही थी.

नही यह होना मुमकीन नही...

शायद उसे अपना दिल उसपर आया है यह पता नही होगा...

उसे यह जताना और बताना जरुरी है ...

उसे यह मालून होनेके बाद वह अपनेआप मुझपर मरने लगेगी...

सोचते हूए उसने मनही मन कुछ तय किया.

दौपहरका वक्त था. कॉलेज अभी अभी छूटा था और नॅन्सी अपने घर वापस जा रही थी. ऍंथोनी पिछेसे तेजीसे चलते हूए उसके पास पहूंचनेका प्रयास कर रहा था. वह उसके नजदिक पहूंचतेही उसने पिछेसे उसे आवाज दिया, '' नॅन्सी''

पिछेसे आया आवाज सुनतेही वह रुक गई और मुडकर पिछे देखने लगी. ऍन्थोनी जॉगींग किये जैसा झटसे उसके पास पहूंच गया.

'' क्या? ... ऍन्थोनी'' उसने आश्चर्यसे उसे पुछा.

क्योंकी वह सामान्य रुपसे किसीसे बात नही करता था.

और आज ऐसा पिछे पिछे दौडकर आते हूए अपनेसे बात कर रहा है ...

वह क्लासमें टॉप होनेसे उसे उसके प्रती एक आदर था. उसेही क्यूं क्लासके सारे लडके लडकियोंको उसके प्रती आदर था.

'' नही ... मतलब ... तुमसे एक जरुरी बात करनी थी '' उसने कहा.

नॅन्सीने उसके चेहरेकी तरफ गौरसे देखा और उसे उससे क्या बात करनी होगी यह वह समझनेकी कोशीश करने लगी. अब दोनो साथ साथ चलने लगे थे.

'' नही ... मतलब ... ऍक्चूअली..'' वह सही शब्दोंको चूनकर एकसाथ लानेकी कोशीश करते हूए बोला, '' मतलब ... मुझे तुम्हे प्रपोज करना था ... विल यू मॅरी मी'' उसने सारे महत्वपूर्ण शब्द चून लिए और झटसे उसे जो बोलना था वह बोलकर राहतकी सांस ली.

अचानक वह ऐसा कुछ बोलेगा ऐसा नॅन्सीने नही सोचा था.

वह मजाक तो नही कर रहा है ? ...

उसने उसके चेहरेकी तरफ फिरसे गौरसे देखा और उसके चेहरेके भाव पढनेकी कोशीश की.

कमसे कम उसके चेहरेसे वह मजाक कर रहा हो ऐसा बिलकुल प्रतित नही हो रहा था...

'' आय ऍम सिरीयस '' उसने उसकी हडबडाहट देखकर कहा.

फिरसे नॅन्सीने उसके भाव समझनेकी कोशीश की. वह उसे उसके क्लासमें होनेसे अच्छी तरह जानती थी. उसे उसका स्वभाव अच्छी तरहसे मालूम था. इस तरहकी मजाक करना उसका मूलभूत स्वभाव नही था. और नॅन्सीका स्वभाव स्पष्टवादी था. इसलिए झटसे उसने उसके बारेंमे अपनी भावनाएं व्यक्त की. आखिर वह जॉनसे प्यार करती थी.

'' ऍन्थोनी... आय ऍम सॉरी बट आय कांन्ट'' उसने कहा.

ऍन्थोनीको इसकी उम्मीद नही थी. वह आश्चर्यसे उसके चेहरेकी तरफ देखने लगा.

इतनी सहजतासे वह मुझे कैसे ठूकरा सकती है? ...

उसके अहंकारको ठेंस पहूंच रही थी.

'' लेकिन क्यो?'' वह अब पुरी तरह चिढ चूका था.

वह तेजीसे आगे आगे चल रही थी और वहभी तेजीसे चलते हूए उसके साथ चलनेकी कोशीश कर रहा था.

'' देखो मै क्लासमे टॉपर हूं ... आगे कॉलेज खतम होनेके बाद न्यूरॉलाजीमें रिसर्च करनेका मेरा इरादा है ... मेरे सामने एक उज्वल भविष्य पडा हूवा है ... और मुझे यकिन है की अगर मुझे तुम्हारे जैसे सुंदर लडकिका साथ मिलता है तो मै जिंदगीमें औरभी बहुत कुछ हासिल कर सकता हूं '' वह उसे समझानेकी कोशीश कर रहा था.

'' ऍंथोनी.. तुम एक अच्छे लडके हो, बुद्धीमान हो... इसमें कोई शक नही है... लेकिन मै तुम्हारे साथ शादीके बारेमें नही सोच सकती. '' वहभी अब उसे समझानेकी कोशीश करने लगी.

'' लेकिन क्यों? '' वह गुस्सेसे बोला, '' ... तुम्हे पता है? ... मै तुम्हे कितना चाहता हूं ...'' वह अब गिडगिडाने लगा था.

'' फिरभी मै ऐसा नही कर सकती..'' वह बोली.

'' लेकिन क्यों? ... यह तो बता सकती हो'' वह गुस्सेसे चिल्लाया.

'' क्योंकी मै किसी दुसरेको चाहती हूं... '' वह बोली.

वह अबभी आगे चल रही थी. लेकिन ऍंथोनी अब रुक गया था. वह पिछेसे घोर निराशासे उसे जाता हूवा देखता रहा.


क्रमश:...

May 5, 2014

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 40

जहांसे सिग्नल आ रहे थे उस जगहके आसपास सॅम और उसकी टीम आकर पहूंच गई. वह एक वेअरहाऊस था. और वेअरहाऊसके सामने और आसपास काफी खुला मैदान था.

'' कॉम्प्यूटरपर तो यही जगह दिखाई दे रही थी ... मतलब यहीं वेअरहाऊसमेही कातिल छूपा हूवा होना चाहिए.'' सॅम अपने पासके नक्शेपर और वेअर हाऊसके आसपासका इलाका देखकर बोला.

ड्रायव्हरने सॅमकी तरफ उसके अगले आदेशके इंतजारमें देखा.

'' गाडी वेअरहाऊसके कंपाऊंडमें लो '' सॅमने ड्रायव्हरको आदेश दिया.

'' यस सर '' ड्रायव्हरने कहा और उसने गाडी वेअर हाऊसके खाली मैदानमें घुसाई.

उनके पिछे आनेवाली गाडीयांभी उनके पिछे पिछे उस खाली मैदानमें घुस गई.

सॅमके गाडीके पिछे सब गाडीयां वेअरहाऊसके सामने रुक गई. गाडी रोकनेके बाद सॅमने अपने वायरलेसपर कब्जा किया.

'' ट्रूप2, ट्रूप3 तुरंत वेअरहाऊसको चारों तरफसे घेर लो '' गाडीसे उतरते वक्त सॅम वायरलेसपर आदेश देने लगा.

उसके साथीभी जल्दी जल्दी गाडीसे उतरने लगे.

'' ट्रूप2 वेअरहाऊसके दाई तरफसे और ट्रूप3 बाई तरफसे वेअर हाऊसको घेर लो.'' उनकी गडबडी ना हो इसलिए सॅमने अपने आदेशका खुलासा किया.

गाडीसे उतरनेके बाद ट्रूप2ने वेअरहाउसके दायी तरफसे तो ट्रूप3ने बायी तरफसे वेअर हाऊसको पुरी तरह घेर लिया. कातिल अगर वेअर हाऊसमें छुपा होगा और उसे भागकर जाना हो तो उसे इन्होने बनाई यह दिवार भेदकर जाना पडेगा. और वह लगभग नामुमकीन था.

अपने दोनो ट्रूपने अच्छी और पुरी तरहसे वेअर हाउसको घेरनेकी तसल्ली होनेके बाद सॅम अपने साथवाले ट्रूपके साथ, वेअरहाऊसके दरवाजेके पास लगभग दौडते हूए ही गया.

'' ट्रूप1 अब वेअरहाऊसमें घुसनेवाला है ... सबलोग तैयार रहो... अंदर कितने लोग होगे इसका अभीतक कोई अनुमान नही लगाया जा सकता है ...'' सॅमने फिरसे एकबार सबको सतर्क रहनेकी ताकीद दी.

वेअरहाऊसमें एक जगह कॉम्प्यूटर का मॉनिटर चमक रहा था वह जगह छोडकर बाकी सब तरफ अंधेरा था. उस कॉम्प्यूटरके सामने एक उधर मुंह किए एक साया खडा था और उसकी अपना सामान बॅगमे भरनेकी गडबड चल रही थी. सब कत्लतो हो चूके थे. अब उसकी भाग जाने की तैयारी दिख रही थी. अचानक सामान भरते हूए वह रुक गया. उसे वेअरहाऊसके बाहर या अंदर कोई हरकत महसूस हूई होगी. वह वैसेही उधर मुंह कर खडा होकर गौरसे सुननेकी कोशीश करने लगा.

सब काम तो अब ठिक ढंगसे हो चूके है... और अब मुझे क्यूं अलग अलग भ्रम हो रहे है...

अबतक कोई मुझे कोई पकड नही पाया जो अब पकड पाएगा... .

वैसे मेरी प्लॅनीग कोई कम फुलप्रुफ नही थी...

उसने अपने दिमागमें चल रही विचारोंकी कश्मकश झटककर दूर की और फिरसे अपने काममें व्यस्त होगया.

अचानक उसे पिछेसे आवाज आया, '' हॅन्डस अप.. यू आर अंडर अरेस्ट''

उसने चतूरतासे अपने बॅगसे कुछ, शायद कोई हथीयार निकालनेकि कोशीश की.

लेकिन उससे जादा चतूराईसे और तेजीसे डिटेक्टीव्ह सॅमने उसके आसपास बंदूककी गोलीयोंकी बरसात कर मानो एक लक्ष्मणरेखा बनाई.

'' जादा होशीयारी करनेका प्रयास मत करो... '' सॅमने उसे ताकीद दी.

उसके हाथसे वह जो भर रहा था वह बॅग निचे गिर गई और उसने अपने दोनो हाथ उपर किये. धीरे धीरे वह सॅमकी तरफ मुडने लगा.

वह जैसेही मुडने लगा. सॅम मनही मन अनुमान लगाने लगा.

वह कौन होगा ?...

और यह सारे कत्ल उसने क्यों किये होंगे?...

जैसेही वह पुरी तरह सॅमकी तरफ मुडा, वहां मॉनिटरके रोशनीमें उसका चेहरा दिखने लगा.

डिटेक्टीव्ह सॅमके चेहरेपर आश्चर्यके भाव दिखने लगे.

वह दूसरा तिसरा कोई ना होकर ऍन्थोनी था, जॉन और नॅन्सीका दोस्त, क्लासमेट !

उसे याद आयाकी उसने नॅन्सी और जॉनके क्लासके गृप फोटोमें इसे देखा था.

डिटेक्टीव्ह सॅमको एक सवालका जवाब मिल गया था. लेकिन उसका दुसरा सवाल ' यह सारे खुन उसने क्यों किए होंगे?'' का जवाब अबभी बाकी था.

डिटेक्टीव्ह सॅम और उसके साथी धीरे धीरे आगे खिसकने लगे. सॅमने वायरलेसपर कातिलको पकडनेकी खबर सारे टीमको दी. उन्होने ऍंन्थोनीको चारो तरफसे घेर लिया.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 39

डिटेक्टीव्ह सॅम और उसके टीमकी गाडीयां तेजीसे रास्तेपर दौड रही थी. कातिलका ठिकाना तो उन्हे पता चल चूका था लेकिन अब जल्द से जल्द वहां जाकर वह रफ्फू चक्कर होनेसे पहले उसे पकडना जरुरी था. गाडीयोंकी गतिके साथ सॅमका दिमागभी दौड रहा था. वह मनही मन सारी संभावनाए टटोलकर देख रहा था. और हर स्थितीमें अपनी क्या स्ट्रॅटेजी रहेगी यह तय कर रहा था. उतनेमें उसके मोबाईलकी बेल बजी. उसके विचारोंकी श्रूंखला टूट गई.

उसने मोबाईलके डिस्प्लेकी तरफ देखा. और झटसे फोन अटेंड किया, '' हां बोलो''

'' सर यहां एक सिरियस प्रॉब्लेम हो गया है '' उधरसे इरिकका आवाज आया.

'सिरीयस प्रॉब्लेम हो गया' यह सुना और सॅम निराश होने लगा. उसके दिमागमें तरह तरहके विचार आने लगे.

'' क्या ? ... क्या हूवा ?'' सॅमने उत्तेजित होकर उत्कंठावश पुछा.

वह अपनी निराशाको अपने उपर हावी होने देना नही चाहता था.

'' सर उस बिल्लीका यहां किसी बॉंबकी तरह विस्फोट हुवा है '' इरिकने जानकारी दी.

'' क्या ?... विस्फोट हुवा?'' सॅमके मुंहसे आश्चर्यसे निकला.

उसपर एक एक आघात हो रहे थे.

'' लेकिन कैसे ?'' सॅमने आगे पुछा.

'' सर उस बिल्लीके गलेमें पहने पट्टेमें प्लास्टीक एक्प्लोजीव लगाया होगा... मुझे लगता है की सिग्नल ब्लॉक होतेही उसका विस्फोट हो जाए इस तरह उसे प्रोग्रॅम किया होगा, ताकी कातिलका शिकार किसीभी हालमें उसके शिकंजेसे ना छूटे. '' इरिकने अपनी राय बयान की.

'' क्रिस्तोफर कैसा है ?... उसे कुछ हूवा तो नही ?'' बॉंब विस्फोट और शिकारका जिक्र होतेही अगला विचार सॅमके दिमागमें क्रिस्तोफरकाही आया.

इतना करनेके बादभी हम उसे बचा सके या नही यह जाननेकी जल्दी सॅमको हूई थी.

'' नही सर वह उस विस्फोटमेंही मर गया '' उधरसे इरिकने कहा.

'' शिट ...'' सॅमके मुंहसे गुस्सेसे निकल गया, '' और अपने लोग ?... वे कैसे है ?'' सॅमने आगे पुछा.

वह गया तो गया... कमसे कम अपने लोगोंको कुछ होना नही चाहिए...

उसे अंदर ही अंदर लग रहा था. वैसेभी एक आम आदमीके हैसीयतसे उसे उसके बारेंमे कुछ हमदर्दी नही थी. एक पुलिस ऑफिसरके हैसीयतसे, एक कर्तव्य की तौर पर उसे बचानेकी उसने जी तोड कोशीश की थी.

'' दो लोग जख्मी हो गए है, हम लोग उन्हे हॉस्पीटलमें ले जा रहे है ...'' इरिकने जानकारी दी.

'' कोई सिरीयस तौर पर जख्मीतो नही '' सॅमने फिरसे तसल्ली करनेके लिए पुछा.

'' नही सर... जख्म वैसे मामुलीही है '' उधरसे आवाज आया.

'' सुनो, उधरकी पुरी जिम्मेदारी मै तुम्हारे उपर सौपता हूं ... हम लोग इधर जहांसे सिग्नल आ रहे थे उसके आसपासही है ... थोडीही देरमें हम वहां पहूंच जायेंगे ... उधरका तुम और रिचर्ड दोनो मिलकर अच्छी तरहसे संभाल लो''

'' यस सर...''

'' अपने लोगोंका खयाल रखना '' सॅमने कहा और उसने फोन कट किया.

'' चलो जल्दी ... हमें जल्दी करनी चाहिए ... उधर क्रिस्तोफरको तो हम बचा नही पाये ... कमसे कम इधर इस कातिलको पकडनेमें कामयाब होना चाहिए... '' सॅमने ड्रायव्हरको तेजीसे चलनेका इशारा करते हूए कहा.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 38

क्रिस्तोफरके मकानके बगलमें एक कॅबिन था और उस कॅबिनमें इरिक अबभी कॉम्प्यूटरके सामने बैठा हूवा था. वह कॉम्प्यूटरके किबोर्डकी बटन्स दबाकर कुछ कर रहा था.

रिचर्ड उसकी तरफ देखते हूए बोला, '' बडी आश्चर्यकी बात है !''

'' कौनसी ?'' इरिकने पुछा.

'' की ... साहब गये फिरभी तुम कॉम्प्यूटरपर बैठकर सिरीयसली काम कर रहे हो'' रिचर्डने ताना मारते हूए कहा.

'' अरे नही ... मै यह सब बिगाडा कैसे जा सकता है यह देख रहा हूं ... ताकी यहांसे मै छूट तो जाऊं '' इरिकने कहा.

रिचर्डने कीबोर्ड उससे छिन लिया.

'' अरे नही ... मै सिर्फ मजाक कर रहा था. '' इरिकने खुलासा करते हूए कहा.

अचानाक कन्ट्रोल बोर्डपर फिरसे 'बिप' 'बिप' ऐसा आवाज आने लगा. दोनोंनेभी पहले कंट्रोल बोर्डकी तरफ और फिर टिव्ही स्क्रिनपर देखा. बिल्ली बेडरुमके पास पहूंची हूई टिव्ही स्क्रिनपर दिख रही थी.

'' मुझे लगता है बिल्ली सिग्नल ब्लाकींग एरियामें आ गई है '' रिचर्ड मानो खुदसेही बोला.

अब 'बिप' 'बिप' आवाज और जोरसे आने लगा.

'' देख... देख ... बिल्ली सिग्नल ब्लाकींग एरियामें पहूंच गई है '' रिचर्डने झटसे वायरलेस उठाया और कन्ट्रोल पॅनलपर एक ब्लींक होरहे लाईटकी तरफ इशारा करते हूए कहा.

रिचर्ड खुशीके मारे उत्तेजीत होकर वायरलेसपर बोलनेही वाला था जब इरिकने चपलतासे वायरलेस रिचर्डके हाथसे छिन लिया. रिचर्ड गुस्सेसे इरिककी तरफ देख रहा था.

'' सर ... बिल्ली अब सिग्नल ब्लॉकींगके एरियामें पहूंच गई है '' इरिकने सॅमको इन्फॉर्म किया.

'' अच्छा... अब उसपर अच्छी तरहसे नजर रखो. '' उधरसे सॅमका आवाज आया.

'' यस सर...'' इरिकने कहा.

'' मै इधर कातिलके पिछे लगा हूं और ध्यान रहे की उधरकी पुरी जिम्मेदारी तुम्हारी है '' सॅमने उसे ताकीद दी.

'' यस सर..'' इरिकने कहा.

और उधरसे सॅमने फोन कट कर दिया.

'' सिग्नल ब्लॉकरने सब सिग्नल ब्लॉक किये है और अब उस कातिलका एकभी आदेश उस बिल्लीतक पहूंचेगा नही. '' रिचर्ड मॉनिटर और टिव्हीकी तरफ देखते हूए फिरसे उत्तेजीत होकर बोला.

टिव्ही मॉनिटरपर अब वह बिल्ली भ्रमित हूई दिख रही थी. वह कभी आगे जा रही थी तो कभी पिछे. शायद उसे कहां जाना है कुछ समझमें नही आ रहा हो.

अचानक उनके सामने रखे सर्कीट टिव्हीपर दिखाई दिया की उस बिल्लीका किसी बॉंबकी तरह एक बडा विस्फोट होकर बडा धमाका हूवा है. इतना बडा की उनकी कॅबिनभी काफी दूर होते हूए भी थर्रा उठी.

कॅबिनमें रखा हूवा कॉम्प्यूटर और सर्कीट टिव्ही बंद हो गया.

दोनोंकोभी यह अप्रत्याशीत आघात था. उनको यह कैसे हूवा कुछ समझ नही आ रहा था. वे गडबडाकर इधर उधर दौडने लगे. .

'' यह अचानक क्या हूवा ?'' इरिक घबराकर बोला.

वह इतना घबराया हूवा था की उसकी सांस फुल गई थी.

'' टेररिस्ट अटॅक तो नही?'' इरिकने अपने सासोंपर नियंत्रण करनेकी कोशीश करते हूए कहा.

'' बेवकुफकी तरह कुछभी बको मत ... देखा नही ... उस बिल्लीका विस्फोट हो गया है '' रिचर्डने कहा.

रिचर्ड अब वहांसे बाहर निकलनेके लिए दरवाजेकी तरफ दौडा.

'' चल जल्दी ... उधर क्या हूवा है यह हमें देखना पडेगा'' दौडते हूए इरिकने कहा.

वे दोनो जब क्रिस्तोफरके बेडरुममें पहूंच गए. उन्होने देखा की विस्फोटकी वजहसे बेडरुम बेडरुम नही रहा था. वहां सिर्फ ईंट. पत्थर, सिमेंट का ढेर बना हूवा था और टूटा हूवा सामान इधर उधर फैला हूवा था. उस ढेरमें उन्हे क्रिस्तोफरके शरीरका कुछ हिस्सा दिखाई दिया. रिचर्ड और इरिक तुरंत वहां पहूंच गए. उन्होने क्रिस्तोफरकी बॉडीसे सामान हटाकर उसे ढेरसे बाहर निकाला. रिचर्डने उसकी नब्ज टटोली. लेकिन नब्ज बंद थी. उसकी जान शायद जब विस्फोट हूवा तबही गई होगी.

अब रिचर्ड और इरिक बेडरुमसे घरके बाकी हिस्सोंकी तरफ रवाना होगए. जहां जहां उनके साथी तैनात थे, उनको वे ढूंढने लगे. कुछ लोग जख्मसे कराह रहे थे, वहां वे उनके मदद के लिए दौड पडे.

इतने गडबडमें इरिकने अपने जेबसे मोबाईल निकाला और एक नंबर डायल किया.

क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 37

रिचर्ड, इरिक और डिटेक्टीव्ह सॅम सामने रखे सर्कीट टिव्हीकी तरफ देख रहे थे. उस टिव्हीपर बिल्लीकी सारी हरकते दिख रही थी.

रिचर्ड कुछ दिखानेके पहलेही इरिकने बिचमें घुसकर कॉम्प्यूटरपर कब्जा कर लिया. रिचर्डको उसके इस व्यवहारका गुस्सा आया था. लेकिन करे तो क्या करे. चेहरेपर कुछभी भाव ना लाते हूए वह सिर्फ उसकी तरफ देखता रहा.

कॉम्प्यूटरके मॉनीटरपर अब शहरका नक्शा दिखने लगा. उस नक्शेमें एक जगह एक लाल स्पॉट लगातार चमक रहा था.

इरिक उस स्पॉटकी तरफ निर्देश करते हूए बोला, '' उस बिल्लीको सब सिंग्नल्स और निर्देश ये यहांसे आ रहे है ""

'' जहांसे सिग्नल आ रहे है वह जगह यहांसे कितनी दुर होगी '' सॅमने पुछा.

इरिकने कॉम्प्यूटरपर इधर उधर क्लिक कर पता करनेकी कोशीश की. लेकिन तबतक रिचर्डकेपास जवाब तैयार था.

उसने कहा, '' सर, वह जगह अपने यहांसे पुरबकी तरफ लगभग पांच किलोमिटर होगी ''

'' हां .. हो सकता है एक मिटर इधर या एक मिटर उधर '' बिचमेंही इरिकने जोड दिया.

रिचर्डने फिरसे इरिककी तरफ गुस्सेसे देखा. उसे उसका इस तरह आगे आगे करना अच्छा नही लगा था. .

डिटेक्टीव्ह सॅम क्रिस्तोफरके मकानके सामने खडा होकर वायरलेसपर अपने पुरी टीमको आदेश और निर्देश दे रहा था,

'' मुझे लगता है सबको अपनी अपनी पोजीशन्स अच्छी तरह समझमें आयी है. अपने पास अब सिर्फ यही एक मौका है. अब किसीभी हालमें कातिल अपने शिकंजेसे बचकर निकलना नही चाहिए. ... तो जिस जिसको जिस जिस जगहपर तैनात किया गया है वे अपनी जगह मत छोडीए. और बिना वजह अंदर बाहर करनेकीभी जरुरत नही है. इसलिएही मैने अंदरकी और बाहरकी जिम्मेवारी अलग अलग सौप दी है... और बाकी बचे हूए तुरंत यहा मकानके सामने जिपके पास इकठ्ठा हो जावो....''

लगभग पंधरा बिस टीम मेंबर्स जिपके पास जमा हो गए. वहांसे निकलनेसे पहले सॅमने उनको संक्षेपमें ब्रिफ किया.

'' जहांसे कातिल ऑपरेट कर रहा है वह जगह हमें मिल चूकी है. इसलिए मैने अपने टीमको दो हिस्सोमें बांट दिया है ... सात लोग पहलेही यहां क्रिस्तोफरका रक्षण करनेके लिए तैनात किए गये है ... और बाकी बचे अठारा.. मतलब आप और मै ... हमे ऑपरेशनका दुसरा हिस्सा यानीकी कातिलको पकडनेका काम करना है... ''

सॅम अब जल्दी जल्दी आपने गाडीकी तरफ जाने लगा. गाडीकी तरफ जाते जाते उसने सबको आदेश दिया, '' अब जल्दसे जल्द अपने अपने गाडीमें बैठो ... हमारे पहूंचनेतक वह कातिल वहांसे खिसकना नही चाहिए. ''

सब लोग जल्दी जल्दी अपने अपने गाडीमें बैठ गए. औए सब गाडीयां धुव्वा उडाती हूई वहांसे तेजीसे निकल पडी - खुनी जहांसे ऑपरेट कर रहा था वहां. सब गाडीयां जब वहांसे चली गई तब कहां उडी हूई धूल का बादल धीरे धीरे निचे आने लगा था.


क्रमश:...

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 36

क्रिस्तोफरके मकानके बगलमें एक गेस्टरुम थी. उस रुममे दो पुलीस रिचर्ड और इरिक उनके सामने रखे सर्किट टिव्हीपर क्रिस्तोफरके बेडरुमकी निगरानी कर रहे थे.

'' आखिर लाख कोशिशोंके बावजुद हमें कुत्ते और बिल्लीयोंकी हरकतोपर ध्यान रखनेकी नौबत आगई '' इरिकने व्यंगात्मक ढंगसे कहा.

'' तिन दिनसे हम यही काम कर रहे है ... बस ... अब बहुत होगया... इस तरह एक जगहपर बैठकर वही बेडरुम लगातार देखते रहना '' इरिकने चिढकर कहा.

'' और एक बात ध्यानसे सुनो मैने पुलिस फोर्स किसी रेपीस्ट या कातिलकी रक्षा करनेके लिए नही जॉईन की '' इरिक अभीभी बडबड कर रहा था.

थोडी देर इरिक शांत रहा और फिरसे उसकी बडबड शुरु होगइ.

'' साहबकी यह कुत्तो बिल्लीयोंकी थेअरी तो ठिक लगती है ... लेकिन एक बात समझमें नही आती ? '' इरिकने कहा.

इरिकने रिचर्डकी तरफ वह '' कौनसी ?'' ऐसा पुछेगा इस आस से देखा. लेकिन वह अपने काममें व्यस्त था. वह कुछ नही बोला.

'' कौनसी बात? पुछोतो ?'' इरिकने रिचर्डके कंधेपर हाथ रखकर उसे हिलाते हूए पुछा.

उसने उसकी तरफ सिर्फ एक दृष्टीक्षेप डाला और फिर वह अपने काममें मग्न हो गया.

'' की कातिल कौन होगा ?... अगर जॉन कहे तो वह मर गया है ... और जॉर्ज कहो तो वह जेलमें बंद है ... फिर कातिल कौन होगा ?'' इरिककी सिर्फ बडबड चल रही थी.

रिचर्ड कुछभी प्रतिक्रिया ना व्यक्त करते हूए सिर्फ उसकी बडबड सुन रहा था. रिचर्ड इतना बोलनेके बादभी ना कुछ बोल रहा है और ना कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त कर रहा है यह देखकर इरिक औरही चिढ गया.

'' अरे क्या तुम घरपरभी ऐसेही गुमसुम रहते हो ?'' उसने रिचर्डसे पुछा.

रिचर्डने सिर्फ उसकी तरफ देखा. .

'' तूम अगर घरपरभी ऐसेही रहते हो ... तो मुझे इस बातका बडा ताज्जुब होता है की तुम्हे बच्चे कैसे होते है ?'' इरिक अब उसे चिढानेके और छेडनेके मुडमें था. इरिकको लग रहा था की वह कमसे कम ऐसे तो बोलेगा. और उसका अंदाजा सही निकला.

रिचर्डने उसकी तरफ मुडकर प्रतिप्रश्न किया, '' बच्चे होनेके लिए क्या बोलनेकी जरुरत होती है ? ''

'' येभी सही है... तुम्हारे पडोसी चुपचाप तुम्हारे घर जाकर अपना काम कर लेते होंगे ... वे बोलेंगे थोडेही. .. नही? '' इरिक उसे औरही छेडनेके अंदामें उसकी खिल्ली उडाते हूए बोला.

रिचर्ड गुस्सेसे वायरलेस फोन उठाकर उसे मारनेके लिए दौडा. इरिक उठ गया और ठहाके लगाते हूए उससे बचनेके लिए इधर उधर दौडने लगा.

अचानक कन्ट्रोल बोर्डपर 'बीप' बजी.

'' ए देखोतो ... कुछ हो रहा है '' रिचर्डने कहा.

एक मॉनिटरपर कुछ हरकत दिखाई दी. एक काली बिल्ली चलते हूए दिखाई देने लगी.

'' देखो फिरसे बिल्ली '' इरिकने कहा.

'' देख उसके गलेमें पट्टाभी बंधा हूवा है '' रिचर्डने कहा.

'' मतलब .. जैसे हमारे साहब कहते है वैसे उस पट्टेमें रिसीवर है शायद ...'' ईरिकने कहा.

'' और वह रिसीव्हर डिटेक्ट हुवा है शायद ... उसकीही तो बीप बजी है ... '' रिचर्डने कहा.

इरिकने वायरलेस उठाया और वह वायरलेपर बोलने लगा.

'' सर ... गलेमें पट्टा पहनी हूई बिल्ली घरमें आई है '' इरिकने उसके बॉसको जानकारी दी.

'' गुड .... अब वह सिग्नल्स कहासे आ रहे है यह ट्रेस करनेकी कोशीश करो '' सॅमने उधरसे उन्हे निर्देश दिया.

उतनेमें उन्होने घरमें सिग्नल ट्रेसरकी जो यंत्रणा बिठाईथी उसनेभी कॉम्प्यूटरपर सिग्नल ट्रेस होनेका संकेत दर्शाया.

'' सर सिग्नलका स्त्रोतभी मिल चूका है '' ईरिकने कॉम्प्यूटरकी तरफ देखते हूए तुरंत सॅमको जानकारी दी.

'' ग्रेट जॉब... मै निकलाही हूं... लगभग पांच मिनटमें पहूंच जाऊंगा. '' सॅमने कहा और उधरसे फोन कट होगया.


क्रमश:...