एक गांव जिसका नाम कोलागढ़ है. उसी गांव के पास वाले जंगल में एक व्यक्ति अपने काम से घर की तरफ वापस आ रहा था. अचानक वो तेज-तेज रोने लगा और कहने लगा कि ‘नहीं! तुम जिंदा हो या मर गई’. पहले उस गांव में कोई भी भूत-प्रेत की बातों पर विश्वास नहीं करता था पर उस दिन के बाद धीरे-धीरे गांव वालों के मन में आत्माओं को लेकर डर बैठ गया.
कोलागढ़ गांव में कुछ ऐसा हुआ था कि उस गाँव में एक औरत थी जिसका दिमाग कुछ ठीक नहीं था. उसका पति भी एक घटना में मर गया था तब से वह कुछ अजीब सी हो गई थी. कुछ गांव वाले उसे पागल भी कहते थे. एक बार की बात है जब रात को गांव का एक आदमी जिसका नाम बदरी था वह शहर की ओर कुछ जरूरी काम से निकल पड़ा. गांव से आने जाने का एक ही रास्ता था. बदरी जंगल से गुजर रहा था कि गांव से कुछ दूर ही जंगल में उसे एक औरत की लाश पेड़ पर लटकती हुई नजर आई. वह एक दम डर गया और भागता हुआ गांव वापस आ गया.
कुछ लोगों ने बदरी को इस तरह से भागते देख कहा ‘क्या हुआ बदरी तुम तो अभी शहर के लिए निकले थे और तुम भागते हुए वापस क्योँ आ गए’. तब बदरी ने बताया कि उसने अभी किसी की लाश को पेड़ पर लटकते हुए देखा है और वो लाश किसी औरत की है. देखते-देखते सारा गांव इकट्ठा हो गया कि क्या हो गया, कहां है लाश चलो चलकर देखते हैं.
गांव वालों ने जब लाश को जाकर देखा तो वास्तव में किसी औरत की लाश पेड़ से लटकी हुई थी. कुछ लोगों ने कहा इसे नीचे उतारो इसका दाह संस्कार करते हैं पर इतने में ही कुछ गांव वालों ने कहा कि अब दाह संस्कार करने से कुछ नहीं होगा और यदि इस लाश का दाह संस्कार गांव के अंदर किया गया तो इसकी आत्मा गांव के अंदर ही भटकती रहेगी. इस आपसी बहस के कारण गांव वालों ने उस औरत की लाश को पेड़ से लटकता हुआ ही छोड़ दिया और अब वो आत्मा बन गांव के हर किसी व्यक्ति को नजर आती है. गांव वाले अब उस औरत की लाश का दाह संस्कार भी नहीं कर सकते हैं क्योंकि आत्माओं का कभी भी दाह संस्कार नहीं होता है.
कोलागढ़ गांव में कुछ ऐसा हुआ था कि उस गाँव में एक औरत थी जिसका दिमाग कुछ ठीक नहीं था. उसका पति भी एक घटना में मर गया था तब से वह कुछ अजीब सी हो गई थी. कुछ गांव वाले उसे पागल भी कहते थे. एक बार की बात है जब रात को गांव का एक आदमी जिसका नाम बदरी था वह शहर की ओर कुछ जरूरी काम से निकल पड़ा. गांव से आने जाने का एक ही रास्ता था. बदरी जंगल से गुजर रहा था कि गांव से कुछ दूर ही जंगल में उसे एक औरत की लाश पेड़ पर लटकती हुई नजर आई. वह एक दम डर गया और भागता हुआ गांव वापस आ गया.
कुछ लोगों ने बदरी को इस तरह से भागते देख कहा ‘क्या हुआ बदरी तुम तो अभी शहर के लिए निकले थे और तुम भागते हुए वापस क्योँ आ गए’. तब बदरी ने बताया कि उसने अभी किसी की लाश को पेड़ पर लटकते हुए देखा है और वो लाश किसी औरत की है. देखते-देखते सारा गांव इकट्ठा हो गया कि क्या हो गया, कहां है लाश चलो चलकर देखते हैं.
गांव वालों ने जब लाश को जाकर देखा तो वास्तव में किसी औरत की लाश पेड़ से लटकी हुई थी. कुछ लोगों ने कहा इसे नीचे उतारो इसका दाह संस्कार करते हैं पर इतने में ही कुछ गांव वालों ने कहा कि अब दाह संस्कार करने से कुछ नहीं होगा और यदि इस लाश का दाह संस्कार गांव के अंदर किया गया तो इसकी आत्मा गांव के अंदर ही भटकती रहेगी. इस आपसी बहस के कारण गांव वालों ने उस औरत की लाश को पेड़ से लटकता हुआ ही छोड़ दिया और अब वो आत्मा बन गांव के हर किसी व्यक्ति को नजर आती है. गांव वाले अब उस औरत की लाश का दाह संस्कार भी नहीं कर सकते हैं क्योंकि आत्माओं का कभी भी दाह संस्कार नहीं होता है.
No comments:
Post a Comment