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April 29, 2014

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 31

डिटेक्टीव्ह सॅमने अपने बज रहे मोबाईलका डिस्प्ले देखा. फोन उसकेही पार्टनरका था. एक बटन दबाकर उसने वह अटेंड किया,

'' यस''

'' सर हमें नॅन्सीका दोस्त जॉन कार्टरका पता चल चूका है '' उधरसे उसके पार्टनरका आवाज आया.

'' गुड व्हेरी गुड'' सॅम उत्साहभरे स्वरमें बोला.

सॅमके पार्टनरने उसे एक ऍड्रेस दिया और तुरंत उधर आनेके लिए कहा.


.... जॉन कार्टर बेडपर पडा हूवा था और जोर जोरसे खांस रहा था. उसकी दाढी बढ चूकी थी और सरके बढे हूए बालभी बिखरे हूए दिख रहे थे. न जाने कितने दिनोंसे वह बेडपर इसी हालमें पडा हूवा था. उसका घरसे बाहर आना जानाभी बंद हो चूका था.

जब उसके प्रिय नॅन्सीका बलात्कार और कत्ल हो गया था तब वह इतना निराश और हतबल हो चूका था की उसे आगे क्या करे कुछ सुझ नही रहा था. उन गुनाहगारोंको सजा हो ऐसा उसे तहे दिलसे लग रहा था. लेकिन कैसे वह कुछ समझ नही पा रहा था. ऐसे मायूस और हतबल अवस्थामें वह शहरमें रातके अंधेरेमें पागलोंकी तरह सिर्फ घुमता रहता तो कभी शामको बिचपर जाकर डूबते सुरजको लगातार निहारता रहता. शायद उसे अपनी खुदकी अवस्थीभी कुछ उस डूबते सुरजकी तरह लगती हो. दिन रात पागलोंकी तरह इधर उधर भटकना और फिर थकनेके बाद बारमें जाकर मदीरामें डूब जाना. ऐसे उसकी दिनचर्या रहती थी. लेकिन ऐसा कितने दिनतक चलनेवाला था. आगे आगे तो उसका घुमना फिरनाभी कम होकर पीना बढ गया. इतना बढ गया की अब उसकी तबीयत खराब होकर वह न जाने कितने दिनसे बेडपर पडा हूवा था. बिस्तर पर पडे अवस्थामेंभी उसका पीना जारी था. थोडीभी नशा उतर जाती तो उसे वह भयानक बलात्कार और कत्लका दृष्य याद आता था. और वह फिरसे पीने लगता था.

अचानक उसे फिरसे खांसीका दौरा पड गया. वह उठनेका प्रयास करने लगा. लेकिन वह इतना क्षीण और कमजोर हूवा था की वह उठभी नही पा रहा था. कैसेतो दिवारका सहारा लेकर वह बेडसे उठ खडा हूवा. लेकिन अपना संतुलन खोकर निचे जमिनपर गिर गया. उसका खांसना लगातार शुरु था. खांसते खांसते उसे एक बडा दौरा पड गया और उसके मुंहसे खुन आने लगा. उसने मुंहको हाथ लगाकर देखा. खुन दिखतेही वह घबरा गया.

उठकर डॉक्टरके पास जाना चाहिए...

लेकिन वह उठभी नही पा रहा था.

चिल्लाकर लोगोंको जमा करना चाहिए...

लेकिन उसमें उतनी चिल्लानेकीभी शक्ती बाकी नही थी.

क्या किया जाए ?...

आखिर उसने एक निर्णय मनही मन पक्का किया और वह उसके हाथको लगे खुनसे फर्शपर कुछ लिखने लगा...


एक आदमी फोनपर बोल रहा था, '' हॅलो पुलिस स्टेशन?''

उधरसे जवाब आनेके लिए वह बिचमें रुक गया.

'' साहब ... हमारे पडोसमें कोई एक आदमी रहता है... मतलब रहता था... उसे हमने लगभग सात-आठ दिनसे देखा नही... उसका दरवाजाभी अंदरसे बंद है ... हमने उसका दरवाजा नॉक करके भी देखा... लेकिन अंदरसे कोई प्रतिक्रिया नही है... उसके घरसे लगातार किसी चिजके सडनेकी दुर्गंध आ रही है ... मुझे लगता है आप लोगोंमेसे कोई यहा आकर देखे तो अच्छा होगा.. ''

फिरसे वह उधरके जवाबके लिए रुका और '' थॅंक यू ... '' कहकर उसने फोन निचे रख दिया.

पुलिसकी एक टीम डिटेक्टीव्ह टेम्पलटनके नेतृत्वमें उस आदमीने फोनपर दिए पते पर तत्परतासे पहूंच गई. वह आदमी उनकी राहही देख रहा था. वे वहा पहूंचतेही वह आदमी उनको एक फ्लॅटके बंद दरवाजेके सामने ले गया. वहा पहूंचतेही एक किसी सडे हूए चिजकी दुर्गंध उनके नाकमें घूस गई. उन्होने तुरंत रुमाल निकालकर अपने अपने नाक को ढंक लिया. उन्होने उस दुर्गंधके उगमका शोध लेनेकी कोशीश की तो वह दुर्गंध उस घरसेही आ रही थी. उन्होने दरवाजा धकेलकर देखा. दरवाजा शायद अंदरसे बंद था. उन्होने दरवाजेको नॉक कर देखा. अंदरसे कोई प्रतिक्रिया नही थी. जिस आदमीने फोनपर पुलिसको इत्तला किया था वह बार बार वही हकिकत उन्हे सुना रहा था. आखिर पुलिसने दरवाजा तोड दिया. दरवाजा तोडनेके बाद तो वह सडी हूई दुर्गंध औरही तिव्रतासे आने लगी. मुंहपर और नाकपर कसकर रुमाल लगाकर वे धीरे धीरे अंदर जाने लगे.

पुलिसकी टीम जब बेडरुममें पहूंच गई तब उन्हे सडनेकी प्रक्रिया शुरु हुवा जॉन कार्टरका मृतदेह जमिनपर पडा हूवा मिला. नाकको रुमालसे कसकर ढंकते हूए वे उस डेड बॉडीके पास गए. वहा जमिनपर मरनेके पहले उसने खुनसे कुछ लिखा हूवा दिखाई दे रहा था. उनमेंसे एक पुलिसने वह नजदीक जाकर पढा,

'' नॅन्सी मुझे माफ कर देना... मै तुम्हे बचा नही पाया... लेकिन चिंता मत करो... उन बदमाशोंका ... एक एक करके बदला लिए बिना मुझे शांती नही मिलेगी... ''


क्रमश:...

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