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April 29, 2014

अद्भुत ( हिन्दी उपन्यास) - चेप्टर 33

बंदीगृहमें चारो ओर अंधेरा फैला हूवा था. जॉर्ज एक कोठडीमे गुमसुमसा किसी सोचमें डूबा हूवा एक कोनेमें बैठा हूवा था. अचानक वह उठ खडा हूवा और अपने पहने हूए कपडे पागलोंकी तरह फाडने लगा. कपडे फाडनेके बाद उसने कोठरीमे इधर उधर पडे फटे कपडेके टूकडे जमा किये. उस टूकडोका वह फिरसे एक गुड्डा बनाने लगा. गुड्डा तैयार होनेके बाद उसके चेहरेपर एक रहस्यसे भरी, डरावनी हंसी फैल गई.

'' मि. ख्रिस्तोफर ऍन्डरसन... अब तुम्हारी बारी है... समझे'' वह पागलोकी तर उस गुड्डेसे बोलने लगा.

वहां ड्यूटीपर तैनात पुलिस काफी समयसे जॉर्जकी हरकतोपर बराबर नजर रखे हूए था. जैसेही उसने जॉर्ज बातचीत सुनी वह तेजीसे उठकर फोनके पास गया - अपने वरिष्ठ अधिकारीको इत्तला करनेके लिए.


ख्रिस्तोफर अपने घरमें, हॉलमें पिते हूए बैठा था. साथही वह चेहरेपर काफी सारी चिंताए लेकर एक के बाद एक लगातार सिगारेट पिये जा रहा था. थोडी देरसे वह उठ खडा हूवा और सोचते हूए कमरेमें धीरे धीरे चहलकदमी करने लगा. उसकी चालसे वह काफी थका हूवा मालूम पड रहा था. या फिर मदीराके चढे हूवे नशेसे वह वैसा लग रहा होगा. थोडी देर चहलकदमी करनेके बाद वह फिरसे कुर्सीपर बैठ गया और अपनीही सोचमें डूब गया. अचानक उसे घरमें किसी उपस्थीतीका अहसास हूवा. कोई किचनमे बर्तनोंसे छेडखानी कर रहा हो ऐसा लग रहा था.

किचनमें इस वक्त कौन होगा ?...

सब दरवाजे खिडकियां तो बंद है... .

की यहभी कोई आभास है ?...

अचानक एक बडा बर्तन फर्शपर गिरनेका आवाज होगया. क्रिस्तोफर एकदम उठकर खडा हो गया.

क्या हूवा होगा.?

उसका दिल जोर जोरसे धडकने लगा.

मै फालतूही घबरा रहा हू... कोई बिल्ली वैगेरा होगी. ...

उसने खुदको समझानेकी कोशीश की और धीरे धीरे चलते हूए, कोई आहट आती है क्या यह सुनते हूए, वह किचनमें जाने लगा.

किचनसे अब आवाजें आना बंद हूवा था. कुछ आहटभी नही थी. वह किचनके दरवाजेकेपास गया. और धीरेसे किचनका दरवाजा तिरछा करते हूए उसने अंदर झांककर देखा.

किचनमेंतो कोई नही दिख रहा है ...

वह किचनमें घुस गया. अंदर जानेके बाद उसने इधर उधर नजर दौडाकर देखा, पुरे किचनका एक राऊंड लगाया.

कहा? .. कुछ तो नही...

या मुझे सिर्फ आभास हो रहे है...

लेकिन जमिनपर एक खाली बर्तन पडा हूवा था.

वह संभ्रमकी स्थितीमें किचनसे वापस जानेके लिए मुडाही था की उसे अब हॉलसे कुछ टूटनेका आवाज आ गया. ख्रिस्तोफर चौंक गया और दौडते हूए हॉलमें चला गया.

हॉलमें उसे उसका व्हिस्कीका ग्लास निचे जमिनपर गिरकर टूटा हूवा मिला. व्हिस्की निचे गिरकर इधर उधर फैली हूई थी. उसने आसपास नजर दौडाई. कोई नही था.

ख्रिस्तोफरकी नशा पुरी तरह उतर चूकी थी.

साला कोई तो नही...

यह क्या हो रहा है मुझे ? ...

ग्लास निचे कैसे गिर गया?...

वह सोचते हूए फिरसे कुर्सीपर बैठ गया. उब उसने पुरी की पुरी बॉटलही मुंहको लगाई थी.


क्रमश:...

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