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February 21, 2014

क्या वह बस एक डरावना सपना था?

कहते हैं आत्मा, भूत-प्रेत, पिशाच, डायन जैसी कोई चीज नहीं होती, यह तो बस इंसानी मस्तिष्क का वहम होता है. लेकिन यह बात भी सच है कि जब तक इन सब चीजों से सामना ना हो तब तक इन पर विश्वास करना वैसे भी बहुत कठिन होता है.

मैं किसी को गलत नहीं ठहरा रही क्योंकि मैं भी पहले यही सोचती थी कि मरने के बाद आत्मा के भटकने जैसी बातें मनगढ़ंत ही होती हैं. वास्तव में ऐसा कुछ नहीं होता लेकिन जब विवाह के बाद पहली बार अपने पति के गांव गई तो मुझे भी यकीन हो गया कि अगर इस दुनिया में भगवान हैं तो बुरी शक्तियां भी समान रूप से वास करती हैं.

पिछले साल की बात है मैं अपने पति के साथ अपने ससुराल, जो कि हिमाचल के एक गांव में है, गई थी. मेरे पति के माता-पिता और अन्य परिवार वाले सभी गांव में ही रहते हैं. मैंने प्रेम विवाह किया था और गांव के माहौल व रहन-सहन के बारे में ज्यादा नहीं जानती थी.

गांव पहुंचते-पहुंचते रात हो गई थी. रास्ते में हमने एक महिला को किसी पेड़ के पास कुछ सामान के साथ पूजा करते देखा. मेरे पति भी शहर में ही रहे हैं इसीलिए हम दोनों ने ही मजाक बनाकर इस घटना को नजरअंदाज कर दिया.

कुछ आगे पहुंचे तो एक औरत सड़क किनारे बैठी थी. हम दोनों को लगा कि शायद महिला किसी परेशानी में है और इंसानियत के नाते हमें उसकी सहायता करनी चाहिए. लेकिन फिर सोचा कहीं कोई चोर-डाकू ना हों जो अंधेरे का फायदा उठाकर आने-जाने वाले यात्रियों को लूटने का काम करते हों.

खैर, यह सब सोचने और समझने के बाद भी हमने उस महिला की मदद करने का ही निर्णय लिया. हम उसके पास पहुंचे तो उसके रोने की आवाजें तेज होने लगीं. वह सिर झुकाकर रोये जा रही थी. हमने उससे पूछा कि समस्या क्या है तो उसने मुझे बोला पीछे पेड़ के पास किसी ने उसके साथी को बांध दिया है और वह अकेली भटक गई है.

हमने बोला कौन, किसने तो वह कहने लगी कि हम उसके साथ चलें और उसके साथी को छुड़ा दें. हमने बोला पुलिस को फोन कर देते हैं तो उसका उत्तर सुनकर हम अचंभित हो गए. उसने कहा पुलिस क्या कर सकती है, मरने के बाद हम तो अपनी सुरक्षा की मांग भी नहीं कर सकते.

मेरे पति और मैं दोनों ही हंसने लगे कि शायद यह महिला दिमागी रूप से ठीक नहीं है. हम वापस अपनी गाड़ी की तरफ आने लगे तो उसने बोला कि आप आगे मत जाइए आगे रास्ता ठीक नहीं है.

हमने उसकी बात नहीं सुनी तो वह कहने लगी जाओ-जाओ फिर मत कहना बताया नहीं था. हमने सोचा कि आखिर यह ऐसा क्यों कह रही है?


हम गाड़ी में बैठे तो आगे रास्ता बेहद अंधेरा और डरावना था. पहाड़ी इलाका था इसीलिए रात के समय कोई आता-जाता भी ज्यादा नहीं था. हम चलते रहे कि अचानक सड़क किनारे कुछ लोग बहुत ही अजीब गतिविधियों में लिप्त दिखाई दिए.

हमारी गाड़ी भी अचानक वहीं खराब हो गई और वह सभी हमारी तरफ बढ़ने लगे. अचानक हमने देखा कि जिस औरत को हम पीछे छोड़कर आए थे वह हमारी गाड़ी के पीछे वाली सीट पर बैठी है और हमें गाड़ी दोबारा स्टार्ट करने के लिए कह रही है. पहले तो हम डर गए लेकिन कुछ भयानक चेहरों वाले लोग जो हमारे पास आ रहे थे उन्हें देखकर ज्यादा डर लग रहा था.


हमारी गाड़ी आश्चर्यजनक तरीके से चल पड़ी और हम बहुत दूर निकल आए. पीछे देखा तो वो महिला भी नहीं थी. हम दोनों आज तक यह सोचते हैं कि उस रात आखिर हुआ क्या था? क्या वह बस एक डरावना सपना था?

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